Jharkhand news: गुमला में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन JJMP दो फाड़ में हो गया है. नक्सली संगठन जेजेएमपी के साथ उग्रवादी अपने ही संगठन से बगावत कर दूसरा उग्रवादी संगठन बना लिये हैं. नया बने उग्रवादी संगठन का नाम झारखंड जनसंग्राम सेनानी (JJSS) रखा गया है. इसके सुप्रीमो दिवाकर व अमर हैं. जेजेएमपी के पूर्व कमांडर दिवाकर व अमर सहित 7 उग्रवादियों ने मिलकर ने जेजेएमपी के प्लाटून कमांडर सुकरा उरांव की हत्या कर दूसरा संगठन बनाया है. फिलहाल, जेजेएसएस में 17 हथियारबंद उग्रवादी हैं. इन सभी नक्सलियों के पास AK-47, इंसास, रायफल, पिस्तौल है. सुकरा उरांव की हत्या कर दिवाकर व अमर कई अत्याधुनिक हथियार लेकर भागे हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जेजेएसएस अपने संगठन विस्तार में लग गया है. गांव-गांव के बेरोजगार व जेजेएमपी से प्रताड़ित युवक-युवतियों से जेजेएसएस के उग्रवादी संपर्क कर रहे हैं और संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं. 10 दिन के अंदर 10 युवकों को जेजेएसएस ने संगठन से जोड़ा है. ये सभी युवक गुमला, चैनपुर व घाघरा प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के हैं.
एक माह पहले 30 अक्तूबर, 2021 को घाघरा प्रखंड के लावादाग गांव में जेजेएमपी के प्लाटून कमांडर सुकरा उरांव की उसके ही दस्ते के कमांडरों ने मिलकर हत्या कर दी थी. इसके बाद सुकरा उरांव के हथियार लेकर भाग गये थे. बताया जा रहा है कि सुकरा उरांव महीने में लेवी का चार लाख रुपये वसूलता था, लेकिन वह अपने दस्ते के सदस्यों को पैसा नहीं देता था और सभी पैसा घाघरा प्रखंड के एक ईंट भट्ठा मालिक को देता था, ताकि सुकरा का पैसा सुरक्षित रहे. सुकरा द्वारा अपने दस्ते के सदस्यों को पैसा नहीं देने से नाराज 7 उग्रवादियों ने मिलकर सुकरा की गोली मारकर हत्या कर दी और संगठन छोड़कर भाग गये. इसके बाद अपना अलग संगठन जेजेएसएस बना लिया.
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सुकरा उरांव को मारकर भागे नये संगठन जेजेएसएस के सुप्रीमो दिवाकर ने कहा है कि जेजेएमपी उग्रवादी अपने नीति व सिद्धांत से भटक गये हैं. वर्तमान में जेजेएमपी के जितने भी उग्रवादी हैं. उनकी बुरी नजर गांव की बहू-बेटियों पर रहती है. जिस गांव में जवान लड़कियां अधिक है. उस गांव में जेजेएमपी के उग्रवादी कई दिनों तक कैंप करते हैं. दिवाकर ने कहा जेजेएसएस गांव की बहू-बेटियों को अब जेजेएमपी से सुरक्षा करेगी.
जेजेएसएस के सुप्रीमो दिवाकर ने कहा कि जेजेएमपी के सुप्रीमो सुरेश यादव थे. वे बहुत अच्छे इंसान थे. गांव के विकास के बारे में सोचते थे. गरीबों की मदद करते थे, लेकिन एक साजिश के तहत जेजेएमपी के उग्रवादी मंजीत ने सुरेश यादव की हत्या कर उसके शव को गायब कर दिया. सुरेश यादव की हत्या के बाद से जेजेएमपी में लूटेरे, बहू-बेटियों की इज्जत से खेलने व गरीबों को परेशान करने वाले सदस्य कमांडर बन गये. विकास योजनाओं को प्रभावित कर लेवी वसूलकर जेजेएमपी के सभी कमांडर मोटी रकम जमा कर लिये हैं. लेकिन, जेजेएसएस अब जेजेएमपी के खिलाफ काम करेगा और जेजेएमपी को गुमला जिले से खत्म करेगा.
इधर, कुटवां गांव के बहुरा मुंडा भी सुकरा उरांव की हत्या में शामिल था, जो जेजेएमपी छोड़कर भाग गया है. सुकरा की हत्या के बाद जेजेएमपी के उग्रवादियों ने बहुरा के घर पर हमला कर उसके पिता शनिचरवा मुंडा (60 वर्ष) को 14 दिन पहले उठाकर ले गये. लेकिन, अभी तक उग्रवादियों ने शनिचरवा मुंडा को मुक्त नहीं किया है. बहुरा ने कहा है कि दुश्मनी मेरी से है, तो मेरे से लड़े नक्सली संगठन जेजेएमपी के लोग. मेरे घर के लोगों को परेशान करने व घर उजाड़ना यह कायर उग्रवादियों की पहचान है.
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बहुरा ने कहा कि सुकरा ने पहले मेरे ऊपर हमला किया था. इसके बाद योजना बनाकर सुकरा की हत्या की गयी. सुकरा को मारने के बाद 12 हजार रुपये उसके बैग से मिला था. जिसे बहुरा लिया था. लेवी का चार लाख रुपये महीने में सुकरा को मिलता था, लेकिन वह अपने साथियों को पॉकेट खर्च भी नहीं देता था.
रिपोर्ट: दुर्जय पासवान, गुमला.