राज्य परिवहन निगम की 26 बसें हो रही बर्बाद, झारखंड बनने के बाद से व्यवस्था है ठप
गुमला के दुंदुरिया बस डिपो से निकलने वाली स्टेट बस कई राज्यों को एक साथ जोड़ती थी. लेकिन आज यह डिपो खंडहर हो गया है. बिहार राज्य के समय सबकुछ ठीक-ठाक था. लेकिन झारखंड गठन के बाद राज्य परिवहन निगम ठप हो गया. इसके बाद 26 बसें बेकार हो गयी है.
गुमला, जगरनाथ पासवान : बिहार से झारखंड राज्य क्या अलग हुआ. राज्य परिवहन निगम की बसें चलनी बंद हो गयी. अब सभी बसें रखे-रखे बर्बाद हो रही हैं. आज से 32 साल पहले दुंदुरिया स्थित बस डिपो से 26 स्टेट बसें गुमला शहर से खुलती थी, जो रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़, टाटा, पलामू तक चलती थी. यहां तक कि बिहार, गया, डेहरी, ओड़िशा, राउरेकला, अलीपुर, छत्तीसगढ़, जशपुर, अंबिकापुर तक स्टेट बस जाती थी. दुंदुरिया का डिपो स्टेट बस व यात्रियों से गुलजार रहता था.
गुमला में 1990 व 1991 में राज्य परिवहन निगम की गाड़ियों की सड़कों पर अपनी धाक हुआ करती थी. गुमला के दुंदुरिया बस डिपो से निकलने वाली स्टेट बस कई राज्यों को एक साथ जोड़ती थी. लेकिन आज यह डिपो खंडहर हो गया है. बिहार राज्य के समय सबकुछ ठीक-ठाक था. लेकिन झारखंड गठन के बाद राज्य परिवहन निगम ठप हो गया. इसके बाद 26 बसें बेकार हो गयी है. गाड़ी का ढांचा है. डिपो में पेट्रोल पंप, हवा भरने के मशीन, गैरेज कबाड़ हो गया है. बस डिपो का कार्यालय एक-एक कर ध्वस्त हो रहा है. यहां कार्यरत पदाधिकारियों व कर्मचारी जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनकी बात सुनें, तो बिहार राज्य से झारखंड क्या अलग हुआ, स्टेट बसों का भविष्य चौपट हो गया.
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसें बंद होने से मालिकों की हो गयी चांदी
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा संचालित बसें बंद होने से निजी बस मालिकों की चांदी हो गयी है. चूंकि बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा बस बंद होने से झारखंड सरकार द्वारा बस का परिचालन पुन: शुरू नहीं कराया गया है. इससे निजी बस मालिकों द्वारा मनमना भाड़ा लेकर यात्रियों को सफर कराया जा रहा है. बतातें चलें कि गुमला में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम वर्ष 1956 ई से शुरू हुई थी, जिसमें 26 बसें चलती थी. इसमें गुमला से पटना, गुमला से टाटा, गुमला से सिमेडगा, गुमला से डेहरी, गुमला से गया एवं 10 बसें गुमला से चैनपुर व डुमरी के रास्ते में चलती थी. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम में 200 कर्मी कार्यरत थे, जिसमें बस ड्राइवर, कंडक्टर, मिस्त्री, ऑफिस कर्मी व खलासी थे. इसमें सभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
वर्ष 2006 से ठप पड़ी हैं बसें
परिवहन निगम के कुछ लोगों ने बताया कि बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा बसें गुमला से विभिन्न जगह चलती थी. लेकिन बिहार से झारखंड राज्य अलग होने के बाद वर्ष 2004 में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम भी अलग हो गया. अलग होने के दो वर्ष के बाद वर्ष 2006 में बसें बंद करने का आदेश आया. उस समय मात्र दो बस गुमला से पटना चलती थी.
बस डिपो का हाल
पांच एकड़ में स्टेट बस डिपो है. पेट्रोल पंप है. लेकिन सब बेकार है. टिकट काउंटर व कर्मचारियों के बैठने के कार्यालय एक-एक कर गिर रहा है. मैकेनिक रूम, इलेक्ट्रिक रूम, फोर मेन रूम, स्टोर रूम, टायर रूम, सेल भेज रूम, पेट्रोल रूम में सब बेकार पड़े हैं. पानी टंकी भी बेकार पड़ी है.
स्टेट बस में कम भाड़ा लगता था
स्टेट बस गुमला के लिए आरामदायक व सस्ती यात्रा थी. निजी बसों द्वारा गुमला से रांची का 150 रुपये भाड़ा वसूला जाता है. लेकिन स्टेट बस टू बाई टू में 48 रुपये व थ्री बाई टू में मात्र 41 रुपये भाड़ा लगता था. जबकि गुमला से पटना का भाड़ा भी निजी बसों की तुलना में आधा लगता था.
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