गुमला, दुर्जय पासवान : दो साल के बाद चोरी हुई जलेश्वर नाथ की मूर्ति मिल गयी है. प्रकोप के डर से चोर ने खुद मंदिर में लाकर मूर्ति को रख दिया. गुमला से 30 किमी दूरी पर नगर गांव में प्राचीन कपिलनाथ मंदिर है. जहां से दो साल पहले अज्ञात चोर ने नागवंशी राजाओं के समय स्थापित जलेश्वर नाथ की प्राचीन मूर्ति की चोरी कर ली थी. मूर्ति चोरी होने के बाद गांव में कई प्रकार के संकट आ रहे थे. प्राकृतिक आपदा, सुखाड़, गांव में आपसी कलह हो रहा था. इसलिए तीन दिन पहले तीन दर्जन गांव के ग्रामीणों ने गांव में बैठक कर मूर्ति खोजने का निर्णय लिया था. गांव में पूजा पाठ करने पर भी सहमति बनी थी. ग्रामीणों की बैठक के तीन दिन बाद चोर ने खुद मूर्ति को मंदिर में सोमवार की देर शाम को चुपके से लाकर रख दिया.
मंगलवार को विधि विधान के साथ होगी पूजा-पाठ
पुजारी उपेंद्र गिरी ने बताया कि मां भगवती मूर्ति के समीप किसी ने मूर्ति को लाकर रख दिया है. एक साल से हमलोग मूर्ति खोज रहे थे. मूर्ति मिलने के बाद दूध से नहाया गया. अब मंगलवार को विधि विधान के साथ पूजा पाठ होगी. उसके बाद भगवान जलेश्वर नाथ की मूर्ति को उनके निर्धारित स्थल पर विराजमान किया जायेगा.
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नगर में 300 साल पुराना है मंदिर
सिसई प्रखंड के नगर गांव स्थित प्राचीन कपिलनाथ शिव मंदिर परिसर से भगवान जलेश्वर नाथ की प्राचीन मूर्ति पिछले दो साल से गायब था. यह 300 साल पुराना मंदिर व मूर्ति है. पुजारी व स्थानीय ग्रामीण की मान्यता के अनुसार, भगवान जलेश्वरनाथ की मूर्ति को सावन माह में अच्छी बारिश के लिए मंदिर परिसर स्थित बावली में नौ दिनों तक रस्सी के सहारे पानी मे डुबोकर रखा जाता था. यह परम्परा सदियों से चली आ रही है. ग्रामीण व पुजारी पिछले दो वर्षो से बारिश कम होने और सूखा की स्थिति पैदा होने को भगवान जलेश्वरनाथ की मूर्ति गायब होने और दो वर्षों से परंपरा टूटने से जोड़कर देख रहे हैं. इस बार भीषण अकाल की स्थिति को देखते हुए नगर गांव के लोग मूर्ति को खोजने की मुहिम तेज कर दिये थे. परंतु उससे पहले मूर्ति मिल गयी. गायब मूर्ति की तलाश को लेकर तीन दिन पहले नगर पंचायत के सभी 36 टोला-टोली के ग्रामीणों ने मुखिया रवि उरांव व पुजारियों की अगुवाई में दुर्गा मंदिर परिसर में बैठक की थी.
गांव में खुशी का माहौल
मूर्ति मिलने के बाद गांव में खुशी का माहौल है. पुजारी उपेंद्र गिरी ने जैसे ही मूर्ति को देखा. उन्होंने इसकी जानकारी ग्रामीणों के दी. काफी संख्या में ग्रामीण जुटे और मूर्ति को अपनी आंखों से देखा. मूर्ति को देखने के बाद लोगों की आंखों में खुशी झलक रही थी. ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि मूर्ति को उनके निर्धारित स्थल पर धूमधाम से स्थापित किया जायेगा.
नवरत्नगढ़ की स्थापना के साथ कपिलनाथ मंदिर की हुई स्थापना
बता दें कि नवरत्नगढ़ की स्थापना के साथ नगर गांव में कपिलनाथ मंदिर की स्थापना हुई थी. यह 320 साल पुराना मंदिर है. इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इसलिए मूर्ति की चोरी के बाद लोग मूर्ति की दो साल से तलाश कर रहे थे. इधर, जब मूर्ति नहीं मिली तो 36 गांव के लोगों ने बैठक की. पुजारी के अनुसार ग्रामीणों के कड़े कदम के बाद ही चोर ने मूर्ति को वापस मंदिर में लाकर रख दिया है.
टांगीनाथ धाम के विकास पर ध्यान है : सांसद
दूसरी ओर, लोगरदगा सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि टांगीनाथ धाम की त्रिशूल की फोटो देश के प्रधानमंत्री को मैंने दिया था, जिसे पाकर प्रधानमंत्री बहुत प्रभावित हुए. इस लोहे के बारे में प्रधानमंत्री को बताये. धाम की विशेषता, महता को पहुंचाने का काम किया हूं. हमलोगों का पूरा प्रयास रहा है. विश्व विख्यात टांगीनाथ धाम को विश्व पटल में लाने का प्रयास है. आनेवाले दो माह के बाद सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया जायेगा. सिरासिता जाने वाला बाघमारिया सड़क को भी सिरासिता नाला उर्फ ककड़ोलता से जोड़ा जायेगा. धाम के विकास के लिए सभी प्रशासनिक विभाग से काम किया जा रहा है. कहा कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए जो भी समस्याएं आयेंगी, उसे आपस में बैठ कर सुलझाने का काम करेंगे. साथ ही आदिवासियों के विकास के लिए एकलव्य आदर्श स्कूल का निर्माण किया जा रहा है. गुमला बाइपास सड़क जल्द गुमला वासियों को समर्पित किया जायेगा.