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घाघरा प्रखंड के तुसगांव की कहानी : गांव में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं, बचने के लिए कर रहे हैं ये काम

परंतु इस गांव तक कोरोना महामारी नहीं पहुंची है. इसका मुख्य कारण, गांव के लोग पूरी तरह एहतियात बरत रहे हैं. कोरोना से बचने के लिए गांव-घर का नियम भी बना है. दोपहर तक सभी को खेती किसानी व पशुओं को चराने का काम कर लेना है. इसके बाद सभी को अपने घर में रहना है. अगर ग्रामीण आपस में एक जगह जुटते हैं, तो सोशल डिस्टैंस का पालन करते हैं.

गुमला : घाघरा प्रखंड में तुसगांव है. यह घने जंगल के बीच है. चारों ओर ऊंचे पहाड़ हैं. जंगलों के बीच बसे तुसगांव में अभी तक कोरोना महामारी नहीं पहुंची है. कोरोना को हराना है तो यह गांव मिसाल है. गांव में कोरोना को घुसने से रोकने का श्रेय गांव के लोगों को भी जाता है. कोरोना महामारी को फैले एक साल से अधिक हो गया. पहला फेज के बाद दूसरा फेज शुरू हो गया.

परंतु इस गांव तक कोरोना महामारी नहीं पहुंची है. इसका मुख्य कारण, गांव के लोग पूरी तरह एहतियात बरत रहे हैं. कोरोना से बचने के लिए गांव-घर का नियम भी बना है. दोपहर तक सभी को खेती किसानी व पशुओं को चराने का काम कर लेना है. इसके बाद सभी को अपने घर में रहना है. अगर ग्रामीण आपस में एक जगह जुटते हैं, तो सोशल डिस्टैंस का पालन करते हैं.

सर्दी, खांसी व गला में किसी को खरास है तो गांव के लोग देहाती इलाज से ठीक हो रहे हैं. इसमें प्राथमिकता के तौर पर सभी लोग करंज के दतुवन से मुंह धोते हैं. वहीं गर्म पानी हर समय पीते हैं. यही वजह है. बदलते मौसम के कारण कुछ लोगों को हल्की सर्दी व खांसी हुई थी. परंतु देहाती दवा लेकर सभी ठीक हैं.

वहीं गांव के जो लोग दूसरे राज्य मजदूरी करने के लिए पलायन किये हैं. अभी वे लोग भी कोरोना के डर से गांव नहीं आ रहे हैं. दूसरे राज्यों में रहने वाले लोग अपनी गांव की सुरक्षा के लिए वापस नहीं लौट रहे हैं. बाहरी लोग गांव में नहीं घुस रहे हैं. जिस कारण यह गांव कोरोना से सुरक्षित है.

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