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Prabhat Khabar Special: झारखंड का ऐसा गांव, जहां ग्रामीण खुद अपने गांव में हैं कैद, जानें कारण

गुमला जिला के दो गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अपने ही गांव में कैद हो गये हैं. चैनपुर प्रखंड के रातू गम्हरिया एवं सिफरी गांव में पहुंचपथ नहीं है. वहीं, दोनों गांव तीन ओर से सफी नदी से तो एक ओर पहाड़ से घिरा है. नदी पर पुल नहीं है.

By Samir Ranjan | October 10, 2022 7:31 PM

Prabhat Khabar Special: घोर नक्सल प्रभावित गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड स्थित मालम पंचायत के रातू गम्हरिया एवं सिफरी गांव के ग्रामीण इन दिनों अपने गांव में कैद हैं. कैद होने का मुख्य कारण गांव में पहुंचपथ का अभाव होना है. गांव से निकलने या दूसरे गांवों के लोगों को उन गांवों में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. इस कारण यहां के ग्रामीण अपने गांव में ही कैद हो गये हैं.

अधिकतर ग्रामीण साफी नदी का करते हैं उपयोग

बता दें कि रातू गम्हरिया में 50 एवं सिफरी गांव में 40 घर है. जहां 400 लोग निवास करते हैं. दोनों गांव चारों ओर से नदी और पहाड़ से घिरा हुआ है. तीन दिशाओं से साफी नदी से घिरा हुआ है तो एक ओर पहाड़ है. इधर, दोनों गांव के ग्रामीण गांव से निकलने के लिए अधिकांशत: साफी नदी का उपयोग करते हैं. नदी पर पुल नहीं है. नदी में बहती हुई पानी से होकर गुजरते हैं. तब कहीं जाकर नदी पार करते हैं, लेकिन अभी नदी में अधिक बरसानी पानी बह रही है. जिस कारण बहुत जरूरी काम से ही गांव के लोग जान जोखिम में डालकर नदी पारकर अपने गांव से पंचायत मुख्यालय अथवा प्रखंड मुख्यालय जाते हैं.

आजादी के बाद भी गांव में नहीं बनी सड़क

गांव के ग्रामीण आवागमन के लिए पहाड़ी रास्ता का भी उपयोग करते हैं. लेकिन, पहाड़ी रास्ता काफी जोखिम भरा है. पहाड़ी रास्ता से दूरी भी अधिक तय करनी पड़ती है. गांव के सुरजन मुंडा, रूपी देवी, सुलोचना कुजूर, फुलमईत देवी आदि ने बताया कि हमारे गांव में पहुंचपथ नहीं है. गांव चारों ओर से नदी और पहाड़ से घिरा हुआ है. जाने-आने के लिए अधिकतर नदी का उपयोग करते हैं, लेकिन अभी नदी में पानी है. बहुत जरूरी होने पर ही लोग नदी पार कर गांव से निकल रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि भले ही सरकार ग्रामीणों के आवागमन के लिए सड़कों का जाल बिछाने की बात करती है. सड़क नहीं होने से उग्रवाद पर नियंत्रण करने में बाधा माना जाता रहा है. साथ ही शिक्षा के अभाव को भी उग्रवाद पनपने का मजबूत आधार माना जाता रहा है. इसके बावजूद हमारे गांव में आजादी के इतने सालों के बाद भी अभी तक सड़क नहीं बनी है.

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आंगनबाड़ी केंद्र चलता है, लेकिन भवन नहीं है

ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के मौसम में गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. हमारे गांव में एक अल्पसंख्यक प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन शिक्षक के अभाव में विद्यालय पिछले लगभग 10-12 सालों से बंद है. बच्चे पड़ोस के गांव का स्कूल जाते हैं. लेकिन, बरसात के मौसम में नदी में पानी भर जाने के कारण बच्चे स्कूल नहीं भेजते हैं. हमारे गांव में छोटे-छोटे बच्चों के लिए एक आंगनबाड़ी केंद्र है. लेकिन, आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं है.

डीसी से पुल एवं पहुंचपथ बनाने की मांग

ग्रामीणों ने डीसी गुमला से साफी नदी पर पुल एवं पहुंचपथ बनाने की गुहार लगायी है. ग्रामीणों ने बताया कि पुल एवं पहुंचपथ के अभाव में गांव काफी पिछड़ा हुआ है. ये दोनों चीजें गांव और गांव वासियों के विकास में बाधक बना हुआ है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन भी बनवाने की मांग की है.

रिपोर्ट : जगरनाथ, गुमला.

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