बिशुनपुर प्रखंड के हेलता पंचायत स्थित बलातूपाठ गांव की आदिम जनजाति की नि:शक्त सुमति असुर दोनों पैर से विकलांग है. वह जमीन पर घसीटकर चलती है. परंतु उसे विकलांग पेंशन नहीं मिलती है. जबकि कई बार सुमति ने विकलांग पेंशन के लिए प्रशासन को आवेदन दी है. परंतु अधिकारी इस गरीब की मदद नहीं कर रहे हैं. राशन कार्ड में भी उसका नाम नहीं चढ़ाया गया है. परिवार में चार सदस्य है.
परंतु दो सदस्य का ही नाम कार्ड में है. सुमति ने कहा कि वह दर्जनों बार पंचायत से लेकर प्रखंड के अधिकारी तक गुहार लगा चुकी है. परंतु उसका न तो विकलांग पेंशन स्वीकृत हो रही है. न ही राशन उसके नाम से मिलता है. ट्राइसाइकिल भी उसे नहीं मिली है. जबकि कई बार वह ट्राइसाइकिल की मांग कर चुकी है. रक्षा बंधन पर्व पर वह अपने गांव के 10 भाइयों को राखी बांधी. सुमति ने कहा कि वह विकलांग है. परंतु गांव के उसके छोटे भाई उनकी मदद करते हैं.