गुमला : हमशक्ल की मौत का लाभ उठाकर 11 साल से बच रहा था इनामी नक्सली खुदी मुंडा, पुलिस पीछे पड़ी तो किया सरेंडर
छह लाख का इनामी सबजोनल कमांडर खुदी मुंडा हमशक्ल की मौत का लाभ उठाकर पिछले 11 साल से पुलिस की गिरफ्त से बच रहा था. पुलिस को भनक लगते ही पीछे पड़ने पर मारे जाने के डर से खुदी 12 जुलाई, 2023 को सरेंडर किया.
गुमला, दुर्जय पासवान : भाकपा माओवादी के हार्डकोर नक्सली सबजोनल कमांडर खुदी मुंडा के सरेंडर करने से पुलिस ने राहत की सांस ली है. वहीं, सरेंडर करने के बाद खुदी की जान भी बच गयी. नहीं तो पुलिस खुदी को मुठभेड़ में मार गिराने के लिए खोज रही थी. सरेंडर करने के बाद खुदी से पुलिस पूछताछ की है. खुदी की निशानदेही पर गुरुवार को कई ठिकानों पर छापामारी किया गया है. हथियार भी बरामद होने की सूचना है. बता दें कि एक हमशक्ल की मौत का फायदा उठाकर 11 वर्षों से नक्सली खुदी मुंडा पुलिस से छिपता फिर रहा था. लेकिन, जब खुदी के पुन: सक्रिय होने के बाद जब पुलिस उसके पीछे पड़ी, तो मारे जाने के डर से खुदी ने सरेंडर कर दिया.
हमशक्ल का उठाया फायदा
बता दें कि रायडीह थाना के जमगई जंगल से 2012 में एक व्यक्ति का शव मिला था, जो नक्सली खुदी मुंडा जैसा दिखता था. उस समय रायडीह थाना की पुलिस यह मान ली थी कि खुदी मुंडा को उसके ही दस्ते के सदस्यों ने हत्या कर शव को जंगल में फेंक दिया है. क्योंकि उस समय जमगाई, लौकी सहित आसपास के इलाकों में भाकपा माओवादियों का शासन चलता था. इसलिए जमगई जंगल से शव मिलने व मृतक का चेहरा खुदी मुंडा से मिलता-जुलता होने के कारण अधिकांश लोग खुदी को मरा हुआ समझ बैठे थे. इसका फायदा उठाते हुए खुदी मुंडा छिप गया. कुछ दिनों तक वह अपने गांव के आसपास रहा. फिर वह ठिकाना बदलते रहा. पलामू भी चला गया. लातेहार में कुछ दिनों तक रहा.
पुलिस को भनक लगते ही पीछे पड़ी
माओवादी के शीर्ष नेता बुद्धेश्वर उरांव के बुलावे पर खुदी मुंडा पलामू से गुमला आ गया. इसके बाद पुलिस को पता चला कि खुदी मरा नहीं, बल्कि वह जिंदा है और सक्रिय होकर संगठन के लिए काम कर रहा है. इसके बाद पुलिस उसके पीछे पड़ गयी. एक माह पहले हार्डकोर नक्सली राजेश उरांव व लजीम अंसारी को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद पुलिस रंथु उरांव व खुदी मुंडा के पीछे पड़ी थी. इसकी जानकारी खुदी को हो गया, तो वह अपनी जान बचाने के लिए एक पुलिस अधिकारी से संपर्क कर सरेंडर कर दिया.
कुरूमगढ़ थाने में सरेंडर किया
भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर खुदी मुंडा ने बुधवार की देर शाम को सरेंडर किया है. उसके ऊपर छह लाख रुपये का इनाम था. पांच लाख रुपये झारखंड पुलिस व एक लाख रुपये एनआइए ने इनाम घोषित कर रखा था. हालांकि, गुमला पुलिस नक्सली खुदी के सरेंडर करने की अबतक पुष्टि नहीं की है. लेकिन, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार की शाम पांच बजे खुदी मुंडा ने कुरूमगढ़ थाने में जाकर सरेंडर किया है. पुलिस अभी उससे पूछताछ कर रही है. खुदी पर गुमला, सिमडेगा, लातेहार जिला के थानों में दर्जनों केस दर्ज है. चैनपुर थाना में हमला, चैनपुर ब्लॉक भवन को उड़ाने व चैनपुर पुलिस की गश्ती टीम पर हमला कर पुलिसकर्मियों को मारने की घटना में भी खुदी शामिल रहा है. पुलिस को खुदी की वर्षो से तलाश थी. भरनो प्रखंड के बटकुरी गांव के रहने वाला खुदी का लंबे समय तक आतंक रहा है.
दो नक्सलियों के मारे जाने से डरा हुआ था खुदी
बताया गया कि नक्सली खुदी मुंडा की ढलती उम्र के साथ उसका शरीर जवाब देने लगा था. इसके साथ ही एक माह के अंदर दो बड़े नक्सलियों के मुठभेड़ में मारे जाने से भी खुदी डरा हुआ था. यहां बता दें कि एक जून, 2023 को आंजन व मरवा रास्ते पर मुठभेड़ में तीन लाख का इनामी तुंजो गांव निवासी राजेश उरांव को गुमला पुलिस ने मुठभेड़ ने मार गिराया था. इसके बाद दो जून, 2023 को चैनपुर के टोंगो जंगल में पुलिस ने छह लाख के इनामी कमांडर लजीम अंसारी को मुठभेड़ में मार गिराया था. हथियार भी मिला था. एक माह में दो नक्सलियों के मारे जाने व एक नक्सली के सरेंडर करने से पुलिस को बड़ी सफलता मिली है.
अब सबजोनल रंथु उरांव बच गया
अब पुलिस को सबजोनल कमांडर छह लाख के इनामी रंथु उरांव की तलाश है. पुलिस के लिए रंथु अभी भी सिरदर्द है. क्योंकि रंथु कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुका है. साथ ही अब कुरूमगढ़ व गुमला इलाके में रंथु ही एकमात्र बड़ा नक्सली बचा है. जिससे पुलिस को परेशानी हो सकती है.