Loading election data...

Teachers’ Day 2021 : 17 वर्षों से पेंशन के पैसे से खिलाड़ियों को तराश रहे रिटायर्ड टीचर सैयद जुन्नू रैन

गुमला के सैयद जुन्नू रैन ने 2004 में स्पोर्ट्स एकेडमी की स्थापना की थी. ये गरीब परिवार के 150 खिलाड़ियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण व खेल सामग्री देते हैं. फुटबॉल में ऑल इंडिया गोल्ड मेडलिस्ट हैं. कोच बनकर नेहरू कप व सुब्रतो कप दिल्ली में जीता. बेस्ट कोच का अवार्ड मिला.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2021 12:25 PM
an image

Teachers’ Day 2021, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : झारखंड के गुमला शहर के थाना रोड निवासी सेवानिवृत शिक्षक सैयद जुन्नू रैन अपने पैसे से 17 सालों से खिलाड़ियों को तराश रहे हैं. वर्ष 2004 में स्पोर्ट्स एकेडमी की स्थापना की थी. एकेडमी के माध्यम से 150 खिलाड़ियों को श्री रैन प्रशिक्षण देते हैं. वर्ष 2021 के जनवरी माह में श्री रैन लूदाम कोठाटोली स्कूल से रिटायर हुए. इसके बाद भी श्री रैन खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने में लगे हैं. नौकरी करते हुए वेतन व रिटायर होने के बाद पेंशन के पैसा से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण व खेल सामग्री खरीदकर देते हैं. इनके पास प्रशिक्षण लेने वाले सभी खिलाड़ी किसान व गरीब परिवार से हैं. इनके गुरुमंत्र से कई खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेकर मेडल जीत चुके हैं.

सैयद जुन्नू रैन ने 32 साल तक शिक्षक की नौकरी की. वे एक शिक्षक के अलावा अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके हैं. 1982 में चंडीगढ़ में आयोजित ऑल इंडिया फुटबॉल प्रतियोगिता में श्री रैन ने बिहार राज्य की प्रतिनिधित्व किया. वे फुटबॉल में ऑल इंडिया गोल्ड मेडलिस्ट हैं. यहां तक कि वे बेहतर कोच भी बने. कोच बनकर नेहरू कप व सुब्रतो कप दिल्ली में जीताया. उन्हें बेस्ट कोच का भी अवार्ड मिला है. देश के मार्शल चीफ ने उन्हें बिहार (अब झारखंड) के खेल का कोहिनूर की संज्ञा दी थी.

Also Read: Teachers’ Day 2021 : एक रिटायर्ड टीचर का ये रूप आपने शायद ही देखा होगा
Teachers’ day 2021 : 17 वर्षों से पेंशन के पैसे से खिलाड़ियों को तराश रहे रिटायर्ड टीचर सैयद जुन्नू रैन 2

सैयद जुन्नू रैन ने बताया कि मेरा बचपन से ही खेल से लगाव रहा है. स्कूल से लेकर जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिता में भाग लिया है. कई मेडल व प्रमाण पत्र मिला. जब मैं 32 साल पहले टीचर बना तो मन में एक सवाल आया. गांव के गरीब बच्चों को खेल में अवसर मिलना चाहिए. स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के अलावा मैं गांव के खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में लाने का सपना देखने लगा. इसके बाद 2004 में स्पोटर्स एकेडमी की स्थापना किया. शुरू में 30 खिलाड़ियों से गांव के बच्चों को फुटबॉल, हैंडबॉल, कबड्डी व कुश्ती का प्रशिक्षण देने लगा. अभी 150 खिलाड़ी है. इसमें कई खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय टीम में है. साथ ही कई खिलाड़ी खेल के बूते अभी सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

Also Read: Teachers’ Day 2021 : झारखंड की संस्कृत शिक्षिका मोयलेन को किन उपलब्धियों के लिए हेमंत सरकार करेगी सम्मानित

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version