तेलंगा खड़िया के वशंज की कहानी पढ़ आंखों में आ जाएंगे आंसू, पिता की हत्या के बाद खा रहे हैं दर-दर की ठोकर
Telanga Kharia : तेलंगा खड़िया के वंशज नितेश खड़िया और मोनिका कुमारी ने प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है. पिता की हत्या और मां के घर छोड़ने के बाद प्रशासन ने कभी उनकी सुध नहीं ली.
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गुमला, दुर्जय पासवान : गुमला के सिसई प्रखंड के रहने वाले तेलंगा खड़िया के वशंज नितेश खड़िया और मोनिका कुमारी आज दर दर की ठोकरें खाने को विवश हैं. इसकी बड़ी वजह है कि वे दोनों अनाथ हो चुके हैं. प्रशासन ने भी उनकी कभी सुध नहीं ली. ग्रामीण चाहते हैं कि प्रशासन दोनों बच्चों के परवरिश का जिम्मा उठायें. फिलहाल दोनों भाई बहन की देखभाल उनकी बूढ़ी दादी कोलो खड़ियाइन मजदूरी करके कर रही है.
नितेश खड़िया और मोनिका कुमारी के पिता की हो गयी थी हत्या
तेलंगा खड़िया के वशंज नितेश खड़िया और मोनिका कुमारी के पिता की हत्या अपराधियों ने कर दी थी. पिता की हत्या के बाद भाई-बहन को अपनी मां से उम्मीद थी कि वह अच्छे से उनकी परवरिश करेंगी. लेकिन पिता की मौत के कुछ महीनों बाद ही मां ने भागकर दूसरी शादी कर ली. पिता की हत्या और मां के छोड़ जाने के बाद दोनों भाई-बहन अनाथ हो गये. गांव के लोगों ने प्रशासन को अनाथ हुए दोनों भाई-बहन की पढ़ाई व परवरिश की व्यवस्था करने की मांग की है.
ईंट भट्ठा में चली गयी थी मजदूरी करने
बताते चलें शहीद तेलंगा खड़िया के वंशज मंगलेश्वर खड़िया की तीन साल पहले हत्या कर दी गयी थी. उनकी हत्या के बाद भाई बहन की परवरिश के लिए उसकी मां चामिन खड़ियाइन ने घर के सामान बेच दिया. इसके बाद वह एक ईंट भट्ठा में मजदूरी करने चली गयी. इस दौरान वहां पर काम कर रहे दूसरे व्यक्ति उनका प्रेम प्रसंग शुरू हो गया. जिसके बाद चामिन अपने बच्चों को छोड़ प्रेमी संग भाग गयी. इधर, पिता की हत्या व मां की दूसरी शादी के बाद भाई बहन अनाथ हो गये.
मानव तस्करी का शिकार हो सकते हैं बच्चे : तुलसी
गांव के रहने वाले तुलसी खड़िया ने मांग की है कि दोनों भाई बहन की परवरिश और शिक्षा के लिए प्रशासन मदद करें. क्योंकि, अगर इन बच्चों को शिक्षा व सही परवरिश नहीं मिली तो ये लोग पलायन करने के लिए विवश हो जाएंगे. मानव तस्करों की भी नजर इन बच्चों है इसलिए प्रशासन इनकी सहयोग करें.
नितेश खड़िया ने कहा : फोस्टर केयर का लाभ मिले
नितेश खड़िया ने कहा कि वे और उनकी बहन बूढ़ी दादी के भरोसे हैं. प्रशासन से अनुरोध है कि उन्हें आवासीय स्कूल में नामांकन करा दें. साथ ही उन्होंने उनकी बहन का दाखिला कस्तूरबा स्कूल में कराने की मांग की है. इसके अलावा उनका कहना है कि प्रशासन अगर उन्हें हर माह फोस्टर केयर के तहत दो-दो हजार रुपये दें तो उनके घर की अन्य जरूरतें भी पूरी हो सकती हैं.