नदी से बालू के अवैध उठाव व तस्करी पर रोक लगाने के लिए विभाग सख्त, इस तरह रखी जा रही है तस्करों पर नजर

नदी से बालू के अवैध उठाव व तस्करी पर रोक लगाने के लिए विभाग सख्त

By Prabhat Khabar News Desk | January 16, 2021 1:04 PM

गुमला : जंगल से गुजरने वाली नदियों से अवैध रूप से बालू का उठाव हो रहा है. जंगलों में बालू भी जमा किया गया है, जिससे जंगल के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. जंगल व नदी को बचाने और बालू के अवैध उठाव पर रोक लगाने के लिए वन विभाग गुमला ने अभियान शुरू कर किया है. इसके तहत जंगली रास्तों पर जगह-जगह वन विभाग द्वारा गड्ढा खोद दिया गया है, ताकि नदी से बालू उठाने के बाद ट्रैक्टर जंगली रास्ते से पार न हो सके.

नदियों तक पहुंचने वाले रास्तों में भी गड्ढा खोद दिया गया है. गुमला जिला अंतर्गत वनक्षेत्रों से सटी नदियों से बालू के अवैध उठाव और तस्करी पर रोक लगाने के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग गुमला द्वारा अभियान के तौर पर कार्य किया जा रहा है. यह अभियान झारखंड राज्य में अपने तरह का पहला अभियान है. बताते चलें कि जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बाद भी गुमला जिले की विभिन्न नदियों से बालू का अवैध उठाव और तस्करी पर लगाम नहीं लग पा रहा है.

नदी से बालू का उठाव करने के बाद बालू को नदी के समीप वाले जंगल में डंप कर दिया जाता है और बाद में उक्त डंप बालू को ट्रक व हाइवा के माध्यम से रांची भेजा जा रहा है. इस पर रोक लगाने के लिए वन विभाग वनक्षेत्रों के मुख्य पथों को अवरुद्ध किया जा रहा है. जेसीबी के माध्यम से पथ के बीचों बीच 15 से 20 फीट गहरा गड्ढा खोद कर पथ को अवरुद्ध किया जा रहा है, ताकि उक्त पथ से बालू की तस्करी करने वाले ट्रैक्टर, ट्रक व हाइवा जैसे वाहनों का परिचालन नहीं हो सके. वन विभाग द्वारा अब तक कामडारा प्रखंड अंतर्गत कोढ़ाटोली, कंसकेली व बरकोईली वनक्षेत्र में बालू की तस्करी करने के लिए बालू माफियाओं द्वारा बनाये गये पथ पर गड्ढा खोद कर उसे अवरुद्ध किया गया है.

वनक्षेत्र से सटी नदियों से अवैध रूप से बालू के उठाव व तस्करी पर रोक लगाने के लिए वन विभाग गंभीरता से काम कर रहा है. नदी से बालू का उठाव व तस्करी के लिए बालू माफियाओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले पथों पर गड्ढा खोद कर पथ को अवरुद्ध कर रहे हैं. साथ ही नियमित रूप से क्षेत्र की गश्ती भी कर रहे हैं और ड्रोन कैमरा के माध्यम से भी नजर रख रहे हैं.

श्रीकांत, डीएफओ

Posted by : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version