घाघरा : घाघरा प्रखंड के देवाकी गांव की नि:शक्त बिरयो उरांव (60) कई दिनों से भूखी है. पानी पीकर दिन बिता रही है. क्योंकि उसके घर में खाने के लिए अनाज नहीं है. ना ही चावल दाल खरीदने के लिए पैसा है. जिससे वह खाना बना कर खा सके. वह नि:शक्त भी है. पैर से विकलांग है. वह हाथ और पैर दोनों से झुक कर चलती है. उसकी देखरेख करने वाले कोई नहीं है. अकेले घर में रहती है. अगर सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला तो वह भूख से मर जायेगी.
बिरयो ने बताया कि घर में पानी नहीं है. लगातार बारिश हो रही थी. किसी ने पानी नहीं ला दिया. अंत में मैंने छत से गिर रहे पानी को ही इकट्ठा किया. उसी को पीकर प्यास बुझायी. जब किसी के घर से खाना नहीं मिलता है. तब मैं भूखी रहती हूं. ऐसा कई बार हुआ है. जब मैं तीन-तीन दिनों तक कुछ नहीं खायी.
बिरयो ने बताया की उसे जब भी कभी खाना बनाना होता है. तो वह पेड़ से गिरा पत्ता को इकट्ठा कर दो किमी दूर नेतरहाट मुख्य मार्ग से पीठ में लाद कर घोड़ा की भांति लाती है. उसी पतुर से खाना बनाने का काम करती है.
बिरयो का घर भी जर्जर है. क्योंकि घर की देखरेख नहीं हो रहा है. मिट्टी का घर है. इस बरसात में घर और भी क्षतिग्रस्त हुआ है. घर की स्थिति ऐसी है कि कभी भी तेज बारिश और तूफान में गिर सकता है. क्योंकि देखरेख के अभाव में घर पूरी तरह से जर्जर हो चुका है.