Coronavirus in Jharkhand (गुमला) : कोरोना संक्रमण से सभी डरे हुए हैं. इससे बचने के लिए सावधानी भी बरत रहे हैं. लेकिन, कई लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. जो लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. इसमें कई ऐसे लोग हैं जो हताश व निराश नहीं हो रहे हैं. धैर्य, आत्मविश्वास से कोरोना को हरा रहे हैं. पेश है कोरोना विजेताओं की कहानी. रिपोर्ट- बिशुनपुर से बसंत साहू, भरनो से सुनील रवि और जारी से जयकरण महतो की.
बिशुनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चतुर्थवर्गीय दैनिक कर्मचारी पिंकी कुमारी ने कोरोना को हराने में सफल रही. पिंकी ने बताया कि प्रखंड में जब कोरोना वैक्सीन की शुरुआत हुई, तो सबसे पहला टीका मैंने लिया था. जिसके कुछ महीने बाद मेरा कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आया, लेकिन मैं घबरायी नहीं. केंद्र के द्वारा मेरे फैमिली मेंबरों का कांटेक्ट ट्रेसिंग जांच हुआ. जहां मेरा 4 वर्षीय बेटा वेदांत उरांव एवं 11 वर्षीय भतीजा उपेंद्र उरांव भी संक्रमित पाया गया. मैंने हिम्मत नहीं हरा. चिकित्सकों के निर्देशानुसार मैं और मेरे बच्चे व भतीजे कोरेंटिन में रह कर चिकित्सकों की सलाह माना और संक्रमण का डर खुद पर हावी होने नहीं दिया. सेहत और दिनचर्या का ख्याल रखा. इस तरह से 15 दिन में ही कोरोना को हम लोगों ने मात दे दी.
पिंकी कहती हैं कि कोरोना कोई गंभीर समस्या नहीं है. इसलिए ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद लोगों के मन में ऐसा ख्याल आता है कि जैसे की कितनी बड़ी बीमारी ने जन्म ले लिया है. लेकिन ऐसा नहीं सोचना चाहिए. हां, जिन्हें पहले से कुछ बीमारियां है और बुजुर्ग हैं. उन्हें इससे जरूर नुकसान हो सकता है. इसलिए नियमों का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी है. शारीरिक दूरी रखने के साथ-साथ मास्क लगाना जरूरी है. साबुन से बार-बार हाथ धोते रहे. सबसे जरूरी बात है कि आप सभी कोरोना टीकाकरण कराने से परहेज ना करें. टीकाकरण अवश्य कराये और अपने हौसला को टूटने ना दें. खुद के हौसला से ही कोरोना से जंग जीता जा सकता है.
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भरनो प्रखंड के ब्लॉक चौक में रहने वाले 78 वर्षीय कांग्रेस नेता पतित पावन साही एवं उनके 4 बेटे उमाकांत शाही (45 वर्ष), चंद्रशेखर शाही (42) एवं निशांत शाही (30 वर्ष) ने कोरोना से जंग जीत लिया है. वर्तमान में सभी लोग स्वस्थ होकर खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. उमाकांत शाही ने बताया कि गत एक माह पूर्व सबसे छोटे भाई निशांत शाही कोरोना से संक्रमित हो गया. तब भरनो के चिकित्सा प्रभारी को तत्काल सूचना दिया.
भाई को परेशानी होने लगी, तो उसे रांची के निजी अस्पताल में भर्ती कराये. फिर एक सप्ताह के बाद उसकी रिपोर्ट निगेटिव आया. उसे घर ले आये. घर के सभी सदस्यों ने कोरोना जांच कराया. जिसमें मेरे वृद्ध पिता, भाई और मैं खुद कोरोना पॉजिटिव हो गया. एक साथ घर के चार लोग संक्रमित होने से घबराहट होने लगी थी. फिर हम सभी ने हिम्मत से काम लिया. सभी सदस्यों ने अलग अलग होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना सुरक्षा नियमों का पालन किया. घर में संतुलित आहार का सेवन किया. जिसके बाद रिपोर्ट निगेटिव आ गया. मेरे वृद्ध पिता व हम सभी भाइयों ने कोरोना को हरा दिया. अब सभी स्वस्थ हैं.
जारी प्रखंड के सीसी करमटोली पंचायत के मुखिया सह राशन डीलर दिलीप बड़ाइक कोरोना से जंग जीत चुके हैं. उन्होंने बताया कि मेरा कोरोना जांच में पॉजिटिव होने के बाद मैं चिंता में पड़ गया था. लेकिन घर परिवार के लोग और शुभचिंतक हमेशा ढांढस बंधाते रहे. जिसके कारण मैं हिम्मत नहीं हारा और हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रहा. डॉक्टर के निर्देश का पालन करते रहा. उन्होंने बताया कि पॉजिटिव आने के बाद किसी तरह का कोई स्वाद नहीं आता था. फिर भी मैं खाने में कोई कमी नहीं किया. मैं प्रतिदिन काढ़ा बनाकर पीता रहा. हॉस्पिटल द्वारा दिया गया दवा का भी प्रयोग करता रहा. फिर मैं दोबारा जांच कराया, तो फिर से पॉजिटिव निकल गया, लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारा और काढ़ा, दवा का उपयोग किया. कुछ दिन के बाद मैंने दोबारा जांच कराया, तो मेरा रिपोर्ट निगेटिव आया.
Posted By : Samir Ranjan.