गुमला के सदर हॉस्पिटल में अव्यवस्था का आलम, शौचालय की नहीं हो रही सफाई, बदबू से मरीज परेशान
Jharkhand News (गुमला) : झारखंड के गुमला में सदर हॉस्पिटल खुद बीमार है. कोई देखने व व्यवस्था सुधारने वाला नहीं है. जिम्मेदार अधिकारियों की भी कुर्सी नहीं छूटती है. कार्यालय में बैठे रहते हैं. इसलिए हॉस्पिटल की व्यवस्था दिनों-दिनों बीमार होते जा रही है. हम बात कर रहे हैं. सदर हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था की. जहां अधिकारी बैठते हैं. उस कार्यालय के अंदर व फर्स हर दिन साफ हो रहा है, लेकिन महिला व पुरुष वार्ड के शौचालय की सफाई महीनों से नहीं हुई है. बदबू आ रहा है. जो मरीज स्वस्थ होने हॉस्पिटल आये हैं. वे बदबू से परेशान हैं. स्थिति यह है कि मरीज ठीक होने के बजाये और बीमार हो रहा है. हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के पास कोई विकल्प नहीं है. इसलिए बदबूदार शौचालय का उपयोग करने को विवश है.
Jharkhand News (जॉली/अंकित, गुमला) : झारखंड के गुमला में सदर हॉस्पिटल खुद बीमार है. कोई देखने व व्यवस्था सुधारने वाला नहीं है. जिम्मेदार अधिकारियों की भी कुर्सी नहीं छूटती है. कार्यालय में बैठे रहते हैं. इसलिए हॉस्पिटल की व्यवस्था दिनों-दिनों बीमार होते जा रही है. हम बात कर रहे हैं. सदर हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था की. जहां अधिकारी बैठते हैं. उस कार्यालय के अंदर व फर्स हर दिन साफ हो रहा है, लेकिन महिला व पुरुष वार्ड के शौचालय की सफाई महीनों से नहीं हुई है. बदबू आ रहा है. जो मरीज स्वस्थ होने हॉस्पिटल आये हैं. वे बदबू से परेशान हैं. स्थिति यह है कि मरीज ठीक होने के बजाये और बीमार हो रहा है. हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के पास कोई विकल्प नहीं है. इसलिए बदबूदार शौचालय का उपयोग करने को विवश है.
मरीजों ने कहा : बदबू से परेशान हैं
सदर हॉस्पिटल में इलाजरत मरीज भरनो के जोरेया गांव निवासी गणपत उरांव ने कहा कि मैं 10 दिनों से हॉस्पिटल में भर्ती हू. लेकिन, हॉस्पिटल में शौचालय की एक दिन भी सफाई नहीं हुई है. शौचालय से बदबू आ रहा है. जिससे महामारी फैलने का डर है. लुरू गांव निवासी धर्मदेव सिंह ने कहा कि मेरे पैर में घाव हो गया है. हॉस्पिटल के शौचालय के बेसिन में पाइप नहीं है. मैं जब भी बाथरूम जाता हूं, तो मेरे पैर में बंधी पट्टी भींग जाती है. बेसिन की सफाई भी नहीं होती है.
वहीं, सरनाटोली निवासी रजनी देवी ने कहा कि मेरा बेटा 10 दिनों से अस्पताल में है. मैं देखरेख कर रही हूं. शौचालय की बदबू वार्ड तक आती है. अगर गंदगी की बात करें, तो देखने से लगता है कि कभी सफाई नहीं की गयी है. फिनाइल का प्रयोग भी नहीं किया जाता है. जिससे अस्पताल आने वाले मरीज और बीमार व महामारी का शिकार हो सकते हैं. दीनानाथ मिस्त्री ने कहा कि मैं बीमार होकर आया हूं, लेकिन हॉस्पिटल का शौचालय देखकर और बीमार हो गया. दुर्गंध व सफाई नहीं होने से उल्टी हो रही है.
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डीएस की सुनिये
डीएस डॉ आनंद किशोर उरांव ने कहा कि हॉस्पिटल में साफ-सफाई व्यवस्था की देखरेख का जिम्मा हॉस्पिटल प्रशासक का है, लेकिन वे क्या कार्य करते हैं. यही तो समझ में नहीं आता है. मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है. मैं अपने स्तर से व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास करूंगा.
Posted By : Samir Ranjan.