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Jharkhand news: साल 2022 में गुमला जिले में बदलाव की है उम्मीद, विकास के होंगे कई काम

jharkhand news: नये साल में गुमला जिले में अधूरे कार्य पूरे होने की उम्मीद है. जिले में कई पर्यटक स्थल हैं, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही विकास के लिए बेहतर प्लानिंग की भी जरूरत है.

Jharkhand news: गुमला जिला को प्रकृति ने खुद संवारा है. यह झारखंड राज्य का सुंदर जिला है. छत्तीसगढ़ राज्य से सटा होने के कारण अर्थव्यवस्था के नजरिये से गुमला का महत्व भी अधिक है. इसलिए जरूरी है कि गुमला का विकास हर क्षेत्र में हो. 2021 गुजर गया, लेकिन गुजरे साल में कई काम अधूरे रह गये. कहा जा सकता है कि गुमला की 12 लाख आबादी के कई सपने आज भी अधूरे रह गये. अब लोगों को 2022 में उम्मीद हैं. उम्मीद है कि गुमला में कई बदलाव होंगे. कई अधूरे काम पूरे होंगे. साथ ही नयी योजनाएं भी चालू होगी. जिसका लाभ लोगों को मिल सके.

2021 में जो कुछ सफर बाकी रह गया है. जिसे 2022 में तय करना है. मंजिल को पाना है. अगर हम देंखे, तो आज भी गुमला कई मामलों में पीछे है. पिछड़ेपन इसकी पहचान बनी हुई है. इसलिए गुमला को पिछड़ा जिला में शामिल किया गया है, ताकि यहां सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारकर विकास की लकीर खींची जा सके. हालांकि, गुमला प्रशासन लगातार जिले के विकास के लिए प्रयासरत है. लेकिन, विकास के लिए बेहतर प्लानिंग की कमी है. यही वजह है कि गुमला में जिस तेजी से विकास के काम होना चाहिए, वो नहीं हो पा रहा है. आज भी लोग सरकारी योजनाओं को तरस रहे हैं.

2022 में रोजगार के लिए पर्यटक स्थलों का विकास जरूरी

अगर खेती-बारी, मजदूरी को छोड़ दिया जाये, तो गुमला में रोजगार की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है. आज भी लोग काम के लिए दूसरे राज्य पलायन करते हैं. श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 35 से 40 हजार लोग हर साल दूसरे राज्य काम की तलाश में जाते हैं. अगर प्रशासन पहल करें, तो इस पलायन को रोका जा सकता है. इसके लिए जरूरी है गुमला जिले के प्रमुख पर्यटक स्थलों का विकास और उन पर्यटक स्थलों पर साल में एक बार महोत्सव का आयोजन करना, ताकि स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिल सके.

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गुमला जिले के पर्यटक और धार्मिक स्थलों का विकास हो, तो इस क्षेत्र में दूर-दूर से सैलानी और श्रद्धालु आयेंगे. इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिल सकता है. बेरोजगार खुद का व्यवसाय कर जीविका चला सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार और प्रशासन को पहल करनी होगी. गुमला के प्रमुख धार्मिक, पर्यटक एवं ऐतिहासिक स्थलों में आंजनधाम, टांगीनाथ धाम, वासुदेव कोना, देवाकीधाम, बनारी में पांच पांडव पहाड़, बिशुनपुर में रंगनाथ मंदिर, डुमरी में सीरासीता, अलबर्ट एक्का जारी में रूद्रपुर का प्राचीन शिवमंदिर, सिसई में छोटानागपुर महाराजाओं की राजधानी डोयसागढ़, नागफेनी, पंपापुर, सुग्रीव गुफा, हापामुनी का प्रसिद्ध महामाया मंदिर, रायडीह में हीरादह, बाघमुंडा जलप्रपात है. जिनका बेहतर विकास तभी संभव है. जब प्रशासन एक प्लानिंग के तहत काम करे.

बस पड़ाव की सूरत बदलने की उम्मीद

वर्ष 2022 में गुमला शहर के ललित उरांव बस पड़ाव की सूरत बदलने की उम्मीद है. नगर परिषद ने बस पड़ाव को सुंदर बनाने के लिए तीन करोड़ 43 लाख 97 हजार रुपये की योजना बनायी है. इतनी राशि से बस पड़ाव में कई काम होंगे. गुमला के बस पड़ाव को झारखंड राज्य का मॉडल बस पड़ाव बनाने की योजना है.

इसी साल बाइपास सड़क शुरू होगी

65 करोड़ रुपये की लागत से सिलम गांव से लेकर करमडीपा हवाई अड्डा तक 12 किमी बाइपास सड़क बन रही है. उम्मीद है कि इस साल बाइपास सड़क पूरी हो जायेगी और लोगों को जाम व सड़क हादसों की समस्या से निजात मिलेगी.

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नये साल में गुमला की इन समस्याओं को दूर करना जरूरी

– चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले 50 गांव में आज भी मोबाइल नेटवर्क नहीं है. लोगों को उम्मीद है कि नये साल 2022 में इस क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क की स्थापना हो, ताकि संपर्क बना रहे.
– 65 करोड़ रुपये की बाइपास सड़क अभी तक नहीं बनी है. काम अधूरा है. जिससे आम जनता जाम से परेशान हैं. बाइपास अधूरा रहने के कारण शहर में हादसे हो रहे हैं. लोगों को जान-माल की क्षति हो रही है.
– गुमला अभी तक रेलवे लाइन से नहीं जुड़ पाया है. सरकारें बदलती गयी, लेकिन हर सरकार के समय लंबे-चौड़े वादे हुए. इसके बावजूद वादा पूरा नहीं हुआ. आज भी गुमला शहर के लोग रेलवे लाइन के लिए संघर्षरत हैं.
– गुमला जिले में 159 पंचायत में 952 गांव है. कई गांवों तक जाने के लिए सड़क नहीं है. पुल-पुलिया का निर्माण नहीं हुई है. अभी भी बरसात के दिनों में 300 से अधिक गांव तीन महीने तक टापू में तब्दील हो जाता है.

– हर गांव व हर घर में बिजली पहुंचाने का सपना अभी भी अधूरा है. बिजली विभाग का दावा है कि सभी गांव में बिजली पोल व तार लग गया है, लेकिन हकीकत यह है कि सैंकड़ों गांवों में बिजली पोल व तार शो पीस है.
– बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड लाल सोना (बॉक्साइड) में बसा है. गुमला से करोड़ों रुपये का बॉक्साइड हर साल दूसरे राज्य भेजा जाता है. लेकिन, इसका लाभ गुमला को नहीं मिल रहा है. अल्युमिनियम के कारखाना की स्थापना नहीं हुई.
– जिले के 12 में से 11 प्रखंड में अस्पताल है, लेकिन वहां डॉक्टर व संसाधन की कमी है. अभी भी कई गांवों में डॉक्टर इलाज करने के लिए जाने से कतराते हैं. जबकि करोड़ों रुपये का भवन बेकार पड़ा है. टूटकर गिर रहा है.
– परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के प्रखंड जारी में अस्पताल नहीं है. सड़कों की स्थिति खराब है. आज भी यहां के लोग विकास को तरस रहे हैं. लेकिन भ्रष्टाचार के कारण इस क्षेत्र का विकास बाधित है.

– गुमला जिला ऐतिहासिक, धार्मिक व पर्यटन स्थलों से पटा हुआ है. लेकिन, इन स्थलों का जितना विकास होना चाहिए नहीं हो पाया है. यहां तक कि पर्यटकों की सुरक्षा की भी गारंटी इन पर्यटन स्थलों पर नहीं है.
– गुमला जिले में रोजगार का कोई साधन नहीं है. मानव तस्करी में गुमला कुख्यात जिला माना जाता है. इसके बाद भी यहां रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने व मानव तस्करी को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं.
– जिले में 35 एंबुलेंस है, लेकिन समय पर मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिलती है. जिस कारण गुमला से रांची नहीं जा पाने के कारण कई मरीज दम तोड़ देते हैं. सांसद और विधायक ने 12 एंबुलेंस बांटे हैं, लेकिन उपयोग निजी हो रहा है.
– गुमला जिले के 200 से अधिक स्कूलों में पानी पीने की व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि स्वच्छ भारत में भी तीन दर्जन स्कूलों में शौचालय नहीं है. जिससे छात्रों के साथ शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ती है. उन्हें खुले में जाना पड़ता है.

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रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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