गुमला के जंगलों और डैमों में पहुंचे हजारों प्रवासी पक्षी, संरक्षण के लिए वन विभाग ने बनाया ये प्लान

Jharkhand News: गुमला जिले के जंगल, डैम और दलदलीय क्षेत्रों में हर साल हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते रहते हैं. ठंड का मौसम पक्षियों के अनुकूल रहने और पर्याप्त मात्रा में भोजन व पानी की सुविधा होने से पक्षी यहां लगभग चार महीने तक रहते हैं

By Prabhat Khabar News Desk | December 5, 2021 7:44 AM
an image

Jharkhand News, Gumla: झारखंड के गुमला जिले के जंगल, डैम और दलदलीय क्षेत्रों में हर साल हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते रहते हैं. ठंड का मौसम पक्षियों के अनुकूल रहने और पर्याप्त मात्रा में भोजन व पानी की सुविधा होने से पक्षी यहां लगभग चार महीने तक रहते हैं. वन विभाग गुमला इनकी सुरक्षा के लिए हर साल पेड़ों पर कृत्रिम घोंसला लगाता रहा है. इस साल 150 कृत्रिम घोंसले लगाने की योजना है.

जानकारी के अनुसार, अब तक जिले के विभिन्न स्थानों जैसे जंगल, डैम, विद्यालय और सरकारी कार्यालयों के परिसर स्थित पेड़ों पर एक हजार कृत्रिम घोंसले लगाये गये हैं. माइनिंग क्षेत्रों में भी घोंसले लगाये जायेंगे. डीएफओ श्रीकांत ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा विलुप्त हो रही पक्षियों को बचाने के लिए सभी राज्यों में पक्षी संरक्षण योजना बनायी जा रही है. वर्तमान में पक्षियों के लिए योजना बनाने से ज्यादा जरूरी है कि उनकी सुरक्षा के उपाय किये जायें. इसके लिए विभागीय स्तर से पेड़ों पर कृत्रिम घोंसला लगा रहे हैं, ताकि पक्षियों का संरक्षण हो सके.

कई विशेष पक्षियों का हो चुका है आगमन: इस साल भी अब तक रेड भेंटेड बुलबुल, पाईड मैना, ब्लैक ड्रोंगो, स्केली ब्रस्टेड मुनिया, बगु, स्पोटेड डभ (पनडुक), गिद्ध, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, नॉर्थर्न सोवेलर व रूडी शेलडक जैसे नये पक्षियों का आगमन हो चुका है.

गुलेल व जाल बिछाकर पक्षियों का होता है शिकार: सबसे दुख की बात है कि सरकार के स्तर पर भी अब तक पक्षियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनी है, जिसका खामियाजा पक्षियों को भुगतना पड़ रहा है. जिले में कई जगहों पर गुलेल व डंडे से मारकर, खानेवाली चीजों में दवा मिलाकर अथवा जाल बिछाकर पक्षियों का शिकार किया जा रहा है.

Also Read: Jharkhand News: कभी शान की बात थी एचइसी में नौकरी करना, आज टेंपो चलाने और सब्जी बेचने को मजबूर हैं कर्मी

पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं और उनका भी शिकार हो रहा है. ऐसे में उनकी सुरक्षा बहुत ही जरूरी है. इसे ध्यान में रखकर ही वन विभाग द्वारा कृत्रिम घोंसले लगाये जा रहे हैं.

Also Read: Jharkhand News: छह नये कोल ब्लॉक से जल्द शुरू होगा खनन, सीएम हेमंत सोरेन ने कहा- झारखंड के हों 75 फीसदी कर्मी

Posted by: Pritish Sahay

Exit mobile version