वर्तमान समय में गुमला जिला के किसानों द्वारा खरीफ फसल की खेती की जा रही है. जिसमें किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर उर्वरक का उपयोग किया जा रहा है. जिससे जिले में उर्वरक की मांग बढ़ गयी है. उर्वरक की मांग बढ़ने के बाद ऊर्वरक के अनुज्ञप्तिधारियों विक्रेताओं द्वारा उर्वरक की कालाबाजारी एवं किसानों से सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक राशि की वसूली से इंकार नहीं किया जा सकता है.
गुमला : वर्तमान समय में गुमला जिला के किसानों द्वारा खरीफ फसल की खेती की जा रही है. जिसमें किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर उर्वरक का उपयोग किया जा रहा है. जिससे जिले में उर्वरक की मांग बढ़ गयी है. उर्वरक की मांग बढ़ने के बाद ऊर्वरक के अनुज्ञप्तिधारियों विक्रेताओं द्वारा उर्वरक की कालाबाजारी एवं किसानों से सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक राशि की वसूली से इंकार नहीं किया जा सकता है.
जिले में प्रत्येक वर्ष उर्वरक की कालाबाजारी होती रही है. जिससे भले ही विक्रेताओं की चांदी होती रही हो, परंतु किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता रहा है. जिसके निराकरण के लिए उपायुक्त गुमला शिशिर कुमार सिन्हा ने जिला कृषि पदाधिकारी (डीएओ) सत्यनारायण महतो एवं जिला सहकारिता पदाधिकारी (डीसीओ) कुमोद कुमार को जिला मुख्यालय गुमला स्थित सभी उर्वरक विक्रेताओं के अनुज्ञप्ति की वैद्यता, क्रय पंजी,
बिक्री पंजी, निर्धारित दर से अधिक दर पर उर्वरक की बिक्री एवं कालाबजारी की जांच करते हुए विक्रेतावार प्रतिवेदन अगले 10 दिनों के अंदर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. साथ ही उर्वरक की कालाबजारी तथा सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक राशि की वसूली करते हुए दोषी पाये जाने की स्थिति में संबंधित खाद विक्रेताओं के विरुद्ध अविलंब आवश्यक कार्रवाई करने एवं प्रतिवेदन उपायुक्त कार्यालय में समर्पित करने का भी निर्देश दिया है.