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नये साल में जाना चाहते हैं गुमला घूमने तो रानीदह है शानदार जगह, दिल को छू जाएगी इसकी खूबसूरती

रानीदह का एक नाम सुसाइड प्वाइंट भी है. क्योंकि रानी ने यहां आत्महत्या की. इस कारण इसे रानीदह के साथ सुसाइड प्वाइंट भी कहा जाता है. इश्क करने वाले यहां जरूर आते हैं.

गुमला व जशपुर जिले के सीमावर्ती पहाड़ व जंगलों के बीच स्थित है अदभुत प्राकृतिक स्थल रानीदह. यह रायडीह प्रखंड से सटा हुआ है. नववर्ष में यह घूमने की सबसे सुंदर जगह है. रानीदह से एक कहानी भी जुड़ी हुई है, जिससे जानने लोग यहां पहुंचते हैं. कहा जाता है कि एक रानी ने पहाड़ के ऊंचाई से नदी में कूद कर जान दी थी, इसलिए इसका नाम रानीदह पड़ा. रानीदह का जलप्रपात दिल को झकझोर देता है.

रानीदह का एक नाम सुसाइड प्वाइंट भी है. क्योंकि रानी ने यहां आत्महत्या की. इस कारण इसे रानीदह के साथ सुसाइड प्वाइंट भी कहा जाता है. इश्क करने वाले यहां जरूर आते हैं. अभी नववर्ष की खुमारी है. पूरे दिसंबर व जनवरी माह यहां झारखंड, बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा राज्य के पर्यटक घूमने आते हैं.

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अब हम रानीदह के इतिहास के बारे में बात करते हैं. रानीदह, नाम सुनने से ही लगता है कि इसके पीछे राजा-रानी का इतिहास छिपा हुआ है. इसमें यही सच्चाई है. कहा जाता है कि रानीदह के पीछे एक रानी की मौत की कहानी छिपी हुई है. इतिहास में छिपी कहानी और लोगों की जुबानी के अनुसार रानीदह जलप्रपात के नाम के पीछे एक राज छुपा हुआ है. कहा जाता है कि ओड़िशा राज्य के राजा की एक बेटी थी, जिसका नाम शिरोमणि था. शिरोमणि की विवाह की बात चल रही थी.

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इस बात से शिरोमणि नाराज हो गयी. वह अपने राज्य से बाहर निकल गयी. साथ में उसकी दासियां भी थी. शिरोमणि ओड़िशा से निकली, तो झारखंड राज्य के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड (हीरादह) से कुछ दूरी पर स्थित पहाड़ पर पहुंची. पहाड़ की ऊंचाई अधिक थी. उसने उस पहाड़ से गिरमा नदी के झील में छलांग लगा दी, जिससे उसकी मौत हो गयी. शिरोमणि की मौत के बाद उसके पांच भाई भी उसकी तलाश में यहां आये, तो वह भी श्राप के कारण पत्थर बन गये, जो यहां पंच भैया के नाम से प्रसिद्ध है. तब से यह स्थान सुसाइड प्वाइंट के नाम से मशहूर हो गया.

रानीदह में देखें: रानीदह के निकट महाकालेश्वर मंदिर है. रानीदह जलप्रपात से एक किमी दूर दक्षिण में ऐतिहासिक स्थल पंच भैया प्राचीन शिवमंदिर है. यहां से कुछ दूरी पर रामरेखा धाम है, जो सिमडेगा जिले में पड़ता है. वहीं रानीदह से बगल में गुमला जिले के रायडीह प्रखंड स्थित हीरादह है. यहां कई गुफाएं व प्राचीन मंदिर हैं. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. सबसे सुंदर इस क्षेत्र की बनावट है, जिसे खुद प्रकृति ने संवारा व सजाया है. पहाड़ की बनावट दिल को छूती है.

कैसे जायें और कहां ठहरें:

अगर झारखंड के लोग रानीदह जाना चाहते हैं, तो उनके लिए गुमला व सिमडेगा से रास्ता है. हालांकि सुगम रास्ता गुमला जिले से होकर जाता है. गुमला से जशपुर की दूरी 50 किमी है और जशपुर से रानीदह की दूरी 12 किमी है, यानि गुमला से 62 किमी दूर रानीदह है. अगर शॉर्ट-कट रास्ता पकड़ना है, तो कोंडरा, हीरादह से होकर रानीदह जाया जा सकता है. रास्ता ठीक है, लेकिन अनजान लोगों के लिए यह रास्ता सफर के लिए ठीक नहीं है. अगर आप रानीदह घूमना चाहते हैं, तो आप गुमला व जशपुर जिला के होटल में ठहर सकते हैं. इसके बाद समय का ख्याल रखते हुए आप रानीदह भ्रमण का पूरा मजा ले सकते हैं.

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