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प्रशासनिक उपेक्षा से विकसित नहीं हुए गुमला के पर्यटन स्थल, पर्यटकों को होती है परेशानी

तीन साल पहले प्लान बना था कि गुमला जिले के चार प्रमुख प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगाया जायेगा. बोर्ड का साइज बड़ा रहेगा, जिसमें जिले के प्रमुख पर्यटक व धार्मिक स्थलों की संक्षिप्त जानकारी फोटो के साथ रहेगी.

दुर्जय पासवान, गुमला:

गुमला जिले को प्रकृति ने खुद संवारा है, यहां कई पर्यटक व धार्मिक स्थल हैं. परंतु, प्रशासनिक उपेक्षा से पर्यटक व धार्मिक स्थलों का विकास नहीं हो सका है, जिससे पर्यटकों को घूमने-फिरने में परेशानी होती है. दूसरे जिलों व राज्यों के पर्यटक भी इसलिए गुमला आना नहीं चाहते कि यहां पर्यटक स्थलों पर सुविधा नहीं है. जिले में 40 पर्यटक व धार्मिक स्थल हैं. हालांकि, पर्यटक स्थलों के विकास के लिए करोड़ों रुपये गुमला को मिलते हैं. परंतु, एक दो स्थानों को छोड़ कर दूसरे पर्यटक स्थलों के विकास पर प्रशासन ने कभी फोकस नहीं किया है.

जिले के प्रवेश द्वार में नहीं लगा बोर्ड: 

तीन साल पहले प्लान बना था कि गुमला जिले के चार प्रमुख प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगाया जायेगा. बोर्ड का साइज बड़ा रहेगा, जिसमें जिले के प्रमुख पर्यटक व धार्मिक स्थलों की संक्षिप्त जानकारी फोटो के साथ रहेगी. पर्यटक स्थल कहां है, कितनी दूरी है, क्या देख सकते हैं व कैसे जायें. इस प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी बोर्ड में लिखी हुई रहेगी. जिससे कोई पर्यटक गुमला आये, तो बोर्ड के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. बोर्ड लगाने के लिए गुमला जिले को 10 लाख रुपये प्राप्त हुआ था, परंतु कहीं पर बोर्ड नहीं लगा है.

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जिले में राष्ट्रीय स्तर के तीन, राजकीय स्तर के 15 व जिला स्तर 22 पर्यटक स्थल : 

गुमला जिला जंगल व पहाड़ों से घिरा है. इसकी भौगोलिक बनावट दूसरे जिलों से भिन्न है. नक्सलवाद, पिछड़ेपन व पलायन के कारण गुमला को जरूर गरीब जिला कहा गया है. लेकिन देश के मानचित्र में गुमला अपनी एक अलग पहचान रखता है. इसकी वजह, यहां के प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर, धार्मिक स्थल व पर्यटक स्थल है. जिले की जो बनावट है, हर जगह इतिहास छिपा है. यही वजह है कि जिले में तीन ऐसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल हैं, जो राष्ट्रीय स्तर के हैं. इनमें सिसई प्रखंड का नवरत्न गढ़, डुमरी प्रखंड का टांगीनाथ धाम व गुमला प्रखंड का आंजनधाम शामिल हैं. ये तीनों न गुमला के धरोहर हैं, बल्कि राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर इन तीनों को महत्वपूर्ण धरोहर माना गया है. हालांकि सरकार ने अभी तक सिर्फ सिसई प्रखंड के नवरत्न गढ़ को विश्व धरोहर के रूप में मानते हुए वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है. वहीं गुमला जिले में 15 ऐसे स्थल हैं, जो राजकीय स्तर के हैं. ये 15 धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल भी आज की युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी देने के लिए काफी है. ऐसे प्रशासन ने पूरे गुमला जिले में 40 पर्यटक स्थलों की सूची तैयार की है, जिसमें तीन राष्ट्रीय स्तर, 15 राजकीय स्तर व 22 स्थलों को जिला स्तर में रखा गया है. प्रशासन ने गुमला के पर्यटक स्थलों को तीन कैटेगरी में बांटा है, जिसमें बी कैटेगरी यानि राष्ट्रीय स्तर, सी यानि राजकीय स्तर व डी कैटेगरी यानी जिला स्तर के पर्यटक स्थल हैं.

पर्यटक स्थलों के कैटेगरी

ए : अंतरराष्ट्रीय स्तर

बी : राष्ट्रीय स्तर

सी : राजकीय स्तर

डी : जिला स्तर

कैटेगरी के अनुसार गुमला के पर्यटक स्थल

बी कैटेगरी : सिसई प्रखंड के नवरत्नगढ़, जिसे मुगल साम्राज्य में राजा दुर्जनशाल ने बनाया था. गुमला प्रखंड के श्रीराम भक्त हनुमान की जन्मस्थली आंजनधाम है. वहीं डुमरी प्रखंड के टांगीनाथ धाम है, जहां भगवान शिव का वास माना जाता है. भगवान शिव का त्रिशूल टांगीनाथ धाम में है.

सी कैटेगरी : पालकोट प्रखंड में पंपापुर, शीतलपुर गुफा, मलमलपुर गुफा, दशभुजी, चिंतामणी मंदिर, घोड़लता, गोबरिसल्ली, महावीर माड़ा, निर्झर झरना, राकस टंगरा, देवगांव शिव गुफा, पालकोट पहाड़ शिखर, सिसई प्रखंड के नागफेनी स्वामी जगरनाथ मंदिर अंबाघाघ, अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड के रूद्रपुर शिवगुटरा सरना, डुमरी प्रखंड के सीरासीता, चैनपुर प्रखंड के राजा डेरा हैं.

डी कैटेगरी : बिसया के बाघमुंडा, कामडारा के महादेव कोना शिवमंदिर, आमटोली शिवमंदिर, बानपुर शिव मंदिर, गुमला बिरसा मुंडा एग्रो पार्क, रॉक गार्डेन, काली मंदिर, जगरनाथ मंदिर करौंदी, पहाड़ पनारी, तेलगांव डैम, पालकोट के सुंदरी घाघ देवगांव, प्रस्तावित प्राचीन काली मंदिर, रायडीह प्रखंड में वासुदेव कोना, हीरादह, सिसई के दाढ़ी टोंगरी, घाघरा प्रखंड के हापामुनी महामाया मंदिर, देवाकीधाम, डुमरी प्रखंड के प्रस्तावित गलगोटरा रोचवे एडवेंचर टूरिज्म, चैनपुर प्रखंड के अपर शंख डैम और बिशुनपुर प्रखंड के पांच पांडव पहाड़ व रंगनाथ मंदिर हैं.

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