सिसई. रांची-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण के बाद गांव या बस पड़ाव की पहचान में यात्रियों की मदद के लिए एनएचएआइ द्वारा लगाये गये गलत सूचना बोर्ड से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मुख्य गांव व बस पड़ाव की जगह दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के गांवों के नाम से सूचना पट लगा दिया गया है. जिससे यात्री भटक कर दूसरी जगह पहुंच जा रहे हैं. कई लोगों से पूछने व कई किलोमीटर चक्कर काटने के बाद वे अपने गंतव्य तक पहुंच पा रहे हैं. सड़क चौड़ीकरण के बाद कायाकल्प हो गया है. सड़क किनारे के सभी पुराने मकान, दुकान और पेड़-पौधे हट गये हैं. ऐसे में स्थान का मूल स्वरूप समाप्त हो गया है. अभी स्थानीय लोगों को रात में अपने गंतव्य स्थान को पहचानने में दिक्कत हो रही है, तो जरा सोचिये उन नये या कई महीनों बाद घर लौटने वाले लोगों को गांवों को पहचानने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा. उन्हें सब बदला-बदला दिखायी दे रहा है. दिन के उजाले में पूछते हुए वे अपने निर्धारित जगह तक पहुंच जा रहे हैं. परंतु रात के वीराने में सूचना बोर्ड ही एकमात्र सहारा होता है. किंतु एनएचएआइ द्वारा लगाये गये बोर्ड में कहीं भी मुख्य गांव, बस्ती या बस पड़ाव का नाम न होकर दूर दराज के ग्रामीण गांवों का नाम होने से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऊपर से पांच किलोमीटर में रास्ता पार करने या लेन बदलकर वापस आने के लिए जगह दिया गया है. जिससे लोगों को 10 से 15 किलोमीटर बेकार का सफर तय करना पड़ता है. महुआडीपा निवासी व इंटरनेशनल खिलाड़ी महावीर राम लोहरा ने एनएचएआइ से लोगों की परेशानी को समझने, मुख्य बस्ती, गांव व शहर के नाम से सभी जगहों पर बड़ा सूचना बोर्ड लगाने की अपील की है. इधर, एनएचएआइ के अधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया. परंतु, बात नहीं हो सकी.
गलत सूचना बोर्ड लगाये जाने से गांव पहचानने में हो रही परेशानी
एनएचएआइ की लापरवाही
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