Valentine’s Day 2021 : झारखंड के गुमला में बीएसएफ से रिटायर जवान ने अपनी पत्नी की याद में बनायी धर्मशाला, पढ़िए कैसे गांव वालों के काम आ रही प्रेम की निशानी
Valentine's Day 2021, Jharkhand News, गुमला (जगरनाथ/खुर्शीद) : आज वेलेंटाइन डे है. प्यार मोहब्बत का दिन. आज कुछ लोग जीने मरने की कसमें खाते हैं. जीवन भर साथ रहने और सातों जन्म साथ रहने का वादा करते हैं. आज हम वेलेंटाइन डे पर एक ऐसी प्रेम की कहानी बताने जा रहे हैं जो आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है. ये प्रेम कहानी झारखंड के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के बीरकेरा सरईटोली गांव की है. इस गांव में बीएसएफ के सेवानिवृत जवान बुधराम राम रहते हैं. उम्र 72 साल है. उनकी पत्नी सोमारी देवी का चार साल पहले निधन हो गया, लेकिन आज भी बुधराम अपनी पत्नी से बेइंतहा प्यार करते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण अपनी पत्नी की याद में बुधराम ने गांव में धर्मशाला का निर्माण कराया है और इस धर्मशाला का नाम सोमारी देवी रखा गया है. वे कहते हैं कि धर्मशाला को देखने से हर समय यह अहसास होता है कि मेरी पत्नी मेरे साथ है.
Valentine’s Day 2021, Jharkhand News, गुमला (जगरनाथ/खुर्शीद) : आज वेलेंटाइन डे है. प्यार मोहब्बत का दिन. आज कुछ लोग जीने मरने की कसमें खाते हैं. जीवन भर साथ रहने और सातों जन्म साथ रहने का वादा करते हैं. आज हम वेलेंटाइन डे पर एक ऐसी प्रेम की कहानी बताने जा रहे हैं जो आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है. ये प्रेम कहानी झारखंड के गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के बीरकेरा सरईटोली गांव की है. इस गांव में बीएसएफ के सेवानिवृत जवान बुधराम राम रहते हैं. उम्र 72 साल है. उनकी पत्नी सोमारी देवी का चार साल पहले निधन हो गया, लेकिन आज भी बुधराम अपनी पत्नी से बेइंतहा प्यार करते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण अपनी पत्नी की याद में बुधराम ने गांव में धर्मशाला का निर्माण कराया है और इस धर्मशाला का नाम सोमारी देवी रखा गया है. वे कहते हैं कि धर्मशाला को देखने से हर समय यह अहसास होता है कि मेरी पत्नी मेरे साथ है.
बुधराम व सोमारी की शादी 1971 में हुई थी. उसके दो बेटे व दो बेटी हैं. सभी बच्चों की शादी हो चुकी है. बुधराम शादी से पहले से अपनी पत्नी को बहुत प्यार करते थे. शादी के बाद प्यार कम नहीं हुआ और बढ़ते गया. परंतु 27 अक्तूबर 2017 को सोमारी देवी का निधन हो गया. पत्नी के निधन के बाद कुछ पलों के लिए बुधराम मायूस हुए. परंतु उन्होंने अपने प्यार को जिंदा रखने के लिए धर्मशाला बनाने का निर्णय लिये. पत्नी के निधन के दो माह बाद बुधराम ने बीएसएफ से रिटायरमेंट के बाद जो पैसा मिला था. उसमें से दो लाख रुपये खर्च कर धर्मशाला बनवाये और गांव के लोगों के उपयोग के लिए सौंप दिया. बुधराम ने कहा कि धर्मशाला बनाने के लिए मैंने पांच डिसमिल जमीन भी दी. खुद अपना दो लाख रुपये लगाया और पत्नी के नाम से धर्मशाला बनाया. उन्होंने बताया कि वे वर्ष 2000 में बीएसएफ से रिटायर किये हैं. रिटायर करने के बाद गांव में रहकर खेतीबारी करता हूं. दोनों बेटे भी खेतीबारी करते हैं.
बुधराम की पत्नी स्व सोमारी देवी का गांव चरकाटांगर जामटोली गांव है. बुधराम कहते हैं कि पत्नी की यादों को जीवित रखने के लिए इस उम्र में भी कभी कभार ससुराल जाते रहता हूं. उन्होंने कहा कि मैं अपनी पत्नी से कितना प्यार करता हूं. यह सिर्फ मुझे अहसास न हो. बल्कि दूसरे लोग भी शादी के बाद पति पत्नी के प्यार को समझे. इसके लिए मैंने धर्मशाला बनाया और लोगों को धर्मशाला सुपुर्द कर दिया. धर्मशाला में जब कोई कार्यक्रम होता है तो मुझे खुशी होती है कि आज भी मेरी पत्नी की याद में बना धर्मशाला लोगों के लिए उपयोगी साबित हो रहा है. शिलापटट पर पत्नी सोमारी का नाम है. वहीं धर्मशाला के अंदर पत्नी का फोटो भी लगाया है.
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