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Vat Savitri Puja 2022: गुमला के सिसई रोड में विशाल बरगद पेड़, यहां होती है वट सावित्री की पूजा

वट सावित्री की पूजा आज है. अखंड सौभाग्य और पति के दीर्घायु की कामना को लेकर महिलाएं पूजा करती है. गुमला में बहुत पुराना एक बरगद का पेड़ है, जहां महिलाएं वट सावित्री की पूजा करती है. इस विशाल बरगद वृक्ष के नीचे सालों-साल से पूजा होते आ रही है.

Vat Savitri Puja 2022: गुमला शहर में मौजूद अनगिनत बरगद के पेड़ है. जहां वर्षो से पूजा हो रही है. इन्हीं में से एक है गुमला शहर के सिसई रोड बड़ाइक पेट्रोल पंप के समीप स्थित विशाल बरगद का पेड़ है. बताया जाता है कि यह पेड़ 300 साल पुराना है. स्थानीय लोगों की माने, तो 100 साल पहले से यहां वट सावित्री की पूजा होते आ रही है.

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Vat savitri puja 2022: गुमला के सिसई रोड में विशाल बरगद पेड़, यहां होती है वट सावित्री की पूजा 2

आज भी बरगद का पेड़ है सुरक्षित

शहर के कई पेड़ आंधी तूफान में गिर गये. लेकिन, यह पेड़ आज तक नहीं गिरा. आज भी यह पेड़ सुरक्षित है और गुमला शहर के बीच में स्थित है. इसलिए लोगों का विश्वास इस पेड़ पर अधिक है. स्थानीय निवासी मुरली मनोहर प्रसाद (70 वर्ष) ने बताया कि वे बचपन से इस पेड़ को देखते आ रहे हैं. उस समय भी सुहागिन महिला इस पेड़ में पूजा करती थी. उसके पिता एवं दादा के समय के पूर्व से ही यह पेड़ यहां पर है. इसलिए अनुमान के अनुसार, यह पेड़ 300 या इससे अधिक वर्ष का है.

सावित्री ने मौत के मुंह से अपने पति को बचाया था : पंडित

पंडित विकास मिश्रा उर्फ बबलू ने बताया कि जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है. इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है. वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है. मान्यता है कि इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, उन्नति और संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं. कथा के अनुसार देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु के मुंह से बचाया था.

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श्रद्धा की हुई जीत

ऐसी मान्यता है कि राजा अश्वपति की बेटी सावित्री की शादी राजकुमार सत्यवान से हुई थी. एक दिन वे जंगल में लकड़ी काटने गये हुए थे. काम करते समय उनका सिर घूमने लगा और उनका देहांत हो गया. जिसके बाद सावित्री ने पति को दोबारा जीवित करने की ठान ली. उन्होंने यमराज से गुहार लगायी. वट के वृक्ष के नीचे बैठ कर कठोर तपस्या की. कहा जाता है कि इस दौरान सावित्री पति की आत्मा के पीछे भगवान यम के आवास तक पहुंच गयी. अंत में उनकी श्रद्धा की जीत हुई. यमराज ने सत्यवान की आत्मा को लौटाने का फैसला किया. जिसके बाद से महिलाएं इस दिन पति की आयु के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस योग से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है.

वट सावित्री पूजा को लेकर तैयारी पूरी, पूजा आज

गुमला में वट सावित्री पूजा की पूरी तैयारी हो गयी है. ज्येष्ठ अमावस्या पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं. 30 मई (सोमवार) को यह व्रत है. अखंड सौभाग्य और पति के दीर्घायु के लिए यह पूजा होती है. गुमला में पूजा को लेकर महिलाओं ने पूजा सामग्री की खरीदारी कर ली है. व्रती सुषमा पाठक ने कहा कि वे अपने पति की सलामती एवं लंबे उम्र के लिए पूरी श्रद्धा के साथ वट सावित्री का व्रत रखती है. वहीं, व्रती अनु देवी ने कहा कि हिंदू धर्म में वट सावित्री पूजा का एक अलग ही महत्व है. जिसे हर सुहागिन महिला पूरे विश्वास एवं श्रद्धा से करती है. जिससे उसे अखंड सौभाग्य का वर मिलता है. व्रती नेहा देवी ने कहा कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र बढ़ती है और आज के दिन किये गये दान से कई गुणा फल मिलता है. रानी देवी ने कहा कि वह हर साल अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए वट सावित्री पूजा करती है और वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपने पति की सलामती की कामना करती है.

रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.

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