Vijay Diwas : 1971 के भारत-पाक युद्ध में कैसे भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया, पढ़िए वीर जवान जयपाल नायक की जुबानी

Vijay Diwas : गुमला (दुर्जय पासवान) : 14 दिन और 14 रात तक पैदल चला. दुश्मनों को मारते हुए आगे बढ़ता रहा. पैदल चलते-चलते थक गया था. कब गोली लगेगी. यह डर था, लेकिन कदम नहीं रूके. हमने पाकिस्तान की पांच चौकी पर कब्जा किया और ढाका पहुंच कर पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया. वर्ष 1971 के युद्ध में शामिल वीर जवान जयपाल नायक की आंखों में अब भी रण की गाथाएं तरोताजा हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2020 9:42 AM

Vijay Diwas : गुमला (दुर्जय पासवान) : 14 दिन और 14 रात तक पैदल चला. दुश्मनों को मारते हुए आगे बढ़ता रहा. पैदल चलते-चलते थक गया था. कब गोली लगेगी. यह डर था, लेकिन कदम नहीं रूके. हमने पाकिस्तान की पांच चौकी पर कब्जा किया और ढाका पहुंच कर पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया. वर्ष 1971 के युद्ध में शामिल वीर जवान जयपाल नायक की आंखों में अब भी रण की गाथाएं तरोताजा हैं.

गुमला के डुमरडीह गांव में रहनेवाले 75 वर्ष के जयपाल नायक को गर्व है कि वे भारतीय सेना से हैं और 1971 की लड़ाई में शामिल रहे हैं. एक जनवरी 1993 को सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद से जयपाल अपने घर पर ही हैं. उनकी चार संतानों में तीन बेटा व एक बेटी हैं. सभी साथ में रहते हैं.

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सेना में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिले मेडल को दिखाते हुए जयपाल सिंह का सीना गर्व से चौड़ा हो उठता है. वे कहते हैं कि 1971 में जब भारत-पाक युद्ध हुआ, तब मेरी उम्र 27 वर्ष थी. मैं इनफैंट्री बटालियन-6 बिहार में हवलदार के पद पर था. हमलोग इनफैंट्री बटालियन-6 के कमांडिंग ऑफिसर पात्रिक आइन लोलर के नेतृत्व में तुरा मेघालय से पैदल बांग्लादेश के लिए निकले. बटालियन-6 में एक हजार जवान थे. सबसे पहले गुसवा पहाड़ चौक पहुंचे. जहां पाकिस्तान का कब्जा था. भारतीय सैनिकों ने पाक सैनिकों पर हमला किया और गुसवा पहाड़ चौकी पर कब्जा किया. इसके बाद हम फुलवार शरीफ पहुंचे. वहां भी पाक सैनिकों को मार गिराया और चौकी पर कब्जा किया.

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फुलवार शरीफ की जंग में हमारे बटालियन के 12 जवान शहीद हुए थे. जवाब में हमने भी दर्जनों पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था. आगे बढ़ते हुए हलुवा घाट चौकी पहुंचे. हलुवा घाट के समीप हमारी बटालियन पहुंची, तो वहां पहले से बटालियन-10 बिहार की एक कंपनी थी. पाक सैनिकों ने उस कंपनी पर अचानक गोला से हमला कर दिया. मशीनगन चलाये जाने लगे. इससे बटालियन-10 को भारी नुकसान हुआ. तभी हमारे बटालियन के अधिकारी ने सेना के वरीय अधिकारी से बात की और हवाई हमला करने का अनुरोध किया. भारत के दो लड़ाकू विमानों से पाकिस्तान पर हवाई हमला किया गया. इसके बाद दुश्मन पीछे हटने लगे और हलुवा घाट चौकी पर कब्जा के बाद हम आगे बढ़े. हमारी टुकड़ी ब्रह्मपुत्र नदी के पास पहुंची. वहां से नाव से सभार पहुंचे, वहां मिलिट्री कैंप में रूके. वहां से ढाका गये और पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर करने पर मजबूर किया.

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जयपाल नायक ने केंद्र सरकार से भूखंड उपलब्ध कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि युद्ध के बाद केंद्र सरकार ने घर बनाने के लिए 12 डिसमिल जमीन और खेती के लिए पांच एकड़ जमीन देने का वादा किया था, लेकिन अब तक जमीन नहीं मिली है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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