Loading election data...

Vijay Diwas : 1971 के युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए झारखंड के चामू उरांव आज भी हैं गुमनाम, पढ़िए क्या है छोटे भाई की पीड़ा

Vijay Diwas : गुमला (दुर्जय पासवान) : फुटबॉल खिलाड़ी से सैनिक बने चामू उरांव 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. आज वे हमारे बीच नहीं हैं. परंतु उनके परिवार के लोग शहीद चामू को याद कर गर्व महसूस करते हैं. चामू उरांव देश के लिए शहीद हुए, लेकिन आज वे आम जनता के बीच गुमनाम हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2020 8:57 AM
an image

Vijay Diwas : गुमला (दुर्जय पासवान) : फुटबॉल खिलाड़ी से सैनिक बने चामू उरांव 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. आज वे हमारे बीच नहीं हैं. परंतु उनके परिवार के लोग शहीद चामू को याद कर गर्व महसूस करते हैं. चामू उरांव देश के लिए शहीद हुए, लेकिन आज वे आम जनता के बीच गुमनाम हैं.

शहीद चामू उरांव का घर गुमला शहर से सटे पुग्गू घांसीटोली गांव में है. 1971 के युद्ध में जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के गुसवापाड़ा चौकी पर हमला किया था. उस समय भारतीय सेना के 12 जवान शहीद हुए थे. जिसमें गुमला के चामू उरांव भी थे. चामू उरांव के शहीद होने के बाद उनके शव को गुमला लाने की व्यवस्था नहीं हो पायी. जिस कारण दूसरे शहीद जवानों के साथ चामू उरांव का भी अंतिम संस्कार सेना के जवानों ने वहीं कर दिया था. भारतीय सेना ने इस नुकसान पर गुसवापाड़ा चौकी पर हमला कर कब्जा कर लिया था. शहीद के छोटे भाई चरवा उरांव ( 60 वर्ष) ने बताया कि जब मेरा भाई दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए थे. उस समय सेना के दो जवान हमारे पुग्गू घांसीटोली स्थित आवास पर आये थे.

Also Read: School reopen date in jharkhand : कल से झारखंड में शुरू होंगी 10वीं से 12वीं तक की कक्षाएं, जानें क्या खुलेंगा और क्या रहेगा बंद

सेना के जवानों ने मेरे पिता रामा उरांव व मां झरी देवी (अब दोनों स्वर्गीय) को भाई चामू उरांव के शहादत की सूचना दी थी. साथ ही शहीद के पार्थिव शरीर को युद्ध स्थल के समीप ही अंतिम संस्कार करने की जानकारी दी गयी थी. चरवा ने कहा कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हुआ. मुझे गर्व है. परंतु दुख इस बात की है कि मेरे भाई के शहादत को लेकर गांव में प्रतिमा की स्थापना नहीं की गयी है. न ही परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की मदद की गयी. टैसेरा गांव के समीप खेती के लिए पांच एकड़ जमीन मिली थी. परंतु अब जमीन पर किसी दूसरे लोगों का कब्जा हो गया है. उन्होंने गुमला प्रशासन व भूतपूर्व सैनिक संगठन के लोगों से पांच एकड़ जमीन पर अधिकार दिलाने, गांव में शहीद की प्रतिमा स्थापित करने व परिवार की मदद करने की मांग की है.

Also Read: झारखंड के जामताड़ा में बनेगा एयरपोर्ट, युवा बनेंगे पायलट, विधायक इरफान अंसारी के प्रस्ताव पर सीएम हेमंत सोरेन गंभीर, दिया ये निर्देश

चरवा ने बताया कि उनके भाई चामू उरांव ने गुमला शहर के लुथेरान हाई स्कूल में पढ़ाई की थी. पिता रामा उरांव व मां झरी देवी किसान थे. खेतीबारी कर हम भाईयों को पढ़ाया. जिसमें चामू सेना में भर्ती हुआ. वह एक अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी था. जिला स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेता था. जब सेना में भर्ती निकला तो वह उसमें भाग लिया और सैनिक बन गया. चामू ने शादी की थी. परंतु शहीद होने के बाद उसकी पत्नी दूसरी शादी करके चली गयी. चामू के शहीद होने पर पेंशन की राशि पिता रामा उरांव को मिलता थी. परंतु पिता रामा व मां झरी के निधन के बाद पेंशन मिलना बंद हो गया. जिस घर में चामू का जन्म हुआ था. अब वह घर भी ध्वस्त हो गया.

Also Read: Sarkari Naukri : भारतीय सेना में नौकरी का है सुनहरा मौका, रांची में आयोजित होगी आर्मी भर्ती रैली, पढ़िए लेटेस्ट अपडेट

चरवा उरांव ने कहा कि वह बंद पड़े चमड़ा गोदाम में रहता है. चमड़ा गोदाम की जमीन नीलाम होने के बाद जिस व्यक्ति ने जमीन खरीदी है. उसने एस्बेस्टस का एक घर बनाकर रहने के लिए दिया है. उस घर में रहकर जमीन की रखवाली कर रहे हैं. चरवा ने यह भी कहा कि 1985 में जब चमड़ा गोदाम शुरू हुआ तो वह तकनीकी पदाधिकारी के रूप में काम करता था. परंतु चमड़ा गोदाम बंद हुआ तो वह बेरोजगार हो गया और गोदाम की रखवाली करने लगा.

Also Read: जमशेदपुर में बनेगा फ्लाईओवर, ट्रैफिक जाम से लोगों को मिलेगी मुक्ति

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version