ग्रामीणों ने बनाया नियम, कहा- जंगल काटना मना है, नियम तोड़ने पर 1000 रुपये जुर्माना

जिले के रायडीह प्रखंड के सुग्गाकाटा गांव में जंगल काटना मना है. यह नियम खुद ग्रामीणों ने बनाया है. गांव के मुख्य रास्ते से ही जंगल शुरू हो जाता है. गांव के प्रवेश द्वार पर ही बोर्ड लगाया गया है, जिस पर लिखा है, ‘जंगल काटना मना है’.

By Prabhat Khabar News Desk | September 22, 2020 11:58 AM

दुर्जय पासवान, गुमला : जिले के रायडीह प्रखंड के सुग्गाकाटा गांव में जंगल काटना मना है. यह नियम खुद ग्रामीणों ने बनाया है. गांव के मुख्य रास्ते से ही जंगल शुरू हो जाता है. गांव के प्रवेश द्वार पर ही बोर्ड लगाया गया है, जिस पर लिखा है, ‘जंगल काटना मना है’. करीब 400 एकड़ में फैला सुग्गाकाटा का यह जंगल करीब पांच किमी दूर से ही नजर आने लगता है. सबसे खास बात यह है कि सुग्गाकाटा के इस जंगल की रखवाली खुद यहां के ग्रामीण करते हैं. इसके लिए गांव में ‘वन रक्षा समिति’ गठित की गयी है.

मुख्य बातें :- 

  • हरियाली को बचा रहे सुग्गाकाटा के ग्रामीण

  • खुद ही बनाया नियम

  • 400 एकड़ भूखंड में फैला है जंगल

  • जंगल की रखवाली के लिए बनायी वन रक्षा समिति

  • लकड़ी चुनने के लिए भी समिति से अनुमति जरूरी

ग्रामीणों के प्रयास से बढ़ रहा जंगल : वनपाल- रायडीह प्रखंड के वनपाल राजेंद्र सिंह ने बताया कि सुग्गाकाटा के ग्रामीण खुद ही जंगल की रखवाली करते हैं, इसलिए जंगल दिनोंदिन बढ़ रहा है. समय-समय पर ग्रामीणों को पौधे दिये जाते हैं, ताकि वे पौधरोपण कर जंगल को संरक्षित कर सकें. समय-समय पर बेहतर काम करने वाले लोगों को वन विभाग द्वारा सम्मानित किया जाता है. लाह लगाने के लिए भी ग्रामीणों को बीज दिया जाता है. समय-समय पर वन विभाग के गार्ड मुनेश्वर राम भी जंगल का मुआयना करते हैं.

जंगल में हैं बेशकीमती पेड़ : सुग्गाकाटा जंगल में बेशकीमती पेड़ हैं. जंगल में सखुआ, कुसुम, चार, केउंद, आम, जामुन, महुआ, बैर, पाकर व लाह के पेड़ व पौधे हैं. फलदार पेड़ों और अन्य वनोत्पाद का उपयोग यहां के ग्रामीण करते हैं. इससे उन्हें आमदनी भी होती है.

सुग्गाकाटा गांव में 100 परिवार हैं. जंगल ही हमारी जीविका का साधन है, इसलिए हम खुद ही जंगल की रखवाली करते हैं. बाहरी व दूसरे गांव के लोगों को सुग्गाकाटा जंगल से लकड़ी काटने पर रोक है.

– वीरेंद्र नगेशिया, सचिव, वन रक्षा समिति

20 साल पहले सुग्गाकाटा गांव विकास से दूर था, लेकिन क्षेत्र में वनवासी कल्याण केंद्र व एराउज की पहल से इस गांव में कई काम हुए हैं. गांव में अब बदलाव नजर आने लगा है.

– रोहित नगेशिया, ग्रामीण, सुग्गाकाटा

Post by : Pritish Sahay

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