Jharkhand News: संकट में हैं पहाड़ पर बसे लोदापाट के असुर जनजाति के ग्रामीण, हाथियों के डर से छिपते फिर रहे

गुमला में पहाड़ पर बसे लोदापाट गांव के असुर जनजाति के लोग इनदिनों संकट से गुजर रहे हैं. हाथियों के डर से इधर-उधर छुपते फिर रहे हैं. इसके बावजूद कोई सुध नहीं ले रहा है. हाथी से बचने के लिए जोभीपाट स्कूल में रात गुजार रहे हैं. हाथियों ने घर ध्वस्त कर दिया. इससे दो दर्जन परिवार बेघर हो गये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2023 10:57 PM

गुमला, दुर्जय पासवान : गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड में पहाड़ पर बसे लोदापाट गांव के असुर जनजाति संकट में हैं. जिंदा रहने के लिए छिपते फिर रहे हैं. क्योंकि इस गांव पर कब जंगली हाथी घुसकर आक्रमण कर देगा. यह डर लोगों को एक सप्ताह से सता रहा है. एक सप्ताह पहले हाथियों ने गांव के कई घरों को ध्वस्त कर दिया. दो दर्जन परिवार बेघर हो गया है. घर में रखे अनाज भी नष्ट कर दिया. असुर जनजाति के पास खाने को कुछ नहीं बचा है. हाथी का ऐसा डर है. शाम होते ही पूरा गांव खाली हो जाता है. हाथी से बचने के लिए असुर जनजाति के लोग पूरे परिवार सहित जोभीपाट स्कूल में रात गुजार रहे हैं. बीते पांच दिनों से लोग जोभीपाट स्कूल में आश्रय लिये हैं.

हाथियों के डर से जी रहे असुर जनजाति के लोग

गांव के युवक रति असुर ने प्रभात खबर को फोन कर बताया कि हम हाथी से डरे हुए हैं और डर-डर के जी रहे हैं. लेकिन प्रशासन हमारी मदद नहीं कर रहा है. घर तोड़ दिया. अनाज खा गया. अब हमारे घरों में अनाज नहीं है. प्रशासन से अनाज की मांग किया तो कहते हैं कि यह वन विभाग का मामला है. वन विभाग मुआवजा देगा. रति ने सवाल किया है. क्या भूख से मरने के बाद हमें मुआवजा मिलेगा? प्रशासन बच्चों की भूख पर तो चिंता करें. रति ने बताया कि गांव के लोग कैसे जी रहे हैं. एक बार तो कोई देखने आये. सुबह से शाम चार बजे तक गांव में रहते हैं. इसके बाद लोग डर से जोभीपाट स्कूल में आकर आश्रय ले रहे हैं.

प्रशासन ने गांव से पल्ला झाड़ा

असुर ने कहा कि हाथियों के झुंड ने गांव में दो बार हमला किया. पहली बार जब हमला हुआ तो एक दर्जन घरों को हाथियों ने तोड़ने के बाद घर पर रखे अनाज को खा गये या तो नष्ट कर दिया. वन विभाग के लोग आये और सर्वे कर चले गये. परंतु, मुआवजा नहीं दिया. दूसरी बार जब हमला किया तो उस समय भी एक दर्जन घर को ध्वस्त कर अनाज खा गये. परंतु, दोबारा वन विभाग के लोग क्षतिपूर्ति का आंकलन करने गांव नहीं पहुंचे. जब इसकी जानकारी प्रशासन को दिया गया तो वन विभाग का मामला बताकर पल्ला झाड़ दिया.

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विलुप्त हो रहा असुर जनजाति

असुर जंगल व पहाड़ों में रहना वाला जनजाति है. परंतु, सरकारी उपेक्षा के कारण यह जनजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंचते जा रहा है. जंगली जानवरों के डर से अब असुर जनजाति के लोग अपने घर-द्वार छोड़कर इधर उधर भटकने को विवश है. रति असुर ने गुमला प्रशासन से गांव का दौरा कर असुर जनजाति के लोगों की मदद करने की अपील किया है.

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