गुमला जिले के घाघरा थाना क्षेत्र के सेरेंगदाग सतकोनवा में भाकपा माओवादियों ने बॉक्साइट माइंस में हमला कर सात वाहन जलाने के बाद पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस सभी से कड़ाई से पूछताछ कर रही है. पुलिस को कुछ सुराग मिले हैं, जिसके आधार पर पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा है. इधर, हिरासत में लिए गये लोगों के परिवार वालों के अलावा गांव के सैकड़ों महिला व पुरुषों ने गुरुवार को घाघरा थाना का घेराव किया. ग्रामीणों ने कहा है कि पूछताछ के नाम पर पुलिस कई दिनों से हमारे परिजनों को प्रताड़ित कर रही है. जिन लोगों को पूछताछ के लिए लाया गया है, वे लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. ग्रामीणों के अनुसार मइलापाठ के सुनील उरांव, भैंसबथान के राजेंद्र उरांव, सनई गांव के कपिंद्र उरांव व जालिम गांव के बलिराम उरांव को पुलिस थाना लेकर आयी है. ग्रामीणों ने बताया कि बलिराम उरांव मंगलवार को बिशुनपुर बाजार गया था.
उस दिन पुलिस ने बाजार से बलिराम को थाना बुला कर लाया है, जिससे अब तक नहीं छोड़ा गया है. इसके बाद राजेंद्र, कपिंद्र व सुनील को पुलिस उनके घर से जाकर लायी है, जिसे अब तक नहीं छोड़ा जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि हमारे निर्दोष परिवार वालों को अविलंब छोड़ दिया जाये. ग्रामीणों ने कहा है कि जिन लोगों ने गाड़ी जलायी है, पुलिस उन लोगों को पकड़े. बेकसूर लोगों को बेवजह पकड़ कर परेशान न करें. ज्ञात हो कि आठ जनवरी की रात को नक्सलियों ने गुमला जिले के सतकोनवा में हमला कर सात वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. इसके बाद से पुलिस की कार्रवाई जारी है. नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन भी चलाया जा रहा है.
झारखंड जेनरल कामगार यूनियन ने सेरेंगदाग बॉक्साइट माइंस में हुए वाहनों की आगजनी की घटना के बहाने हिंडालको प्रबंधन व घाघरा पुलिस पर सेरेंगदाग भैंसबथान बॉक्साइट माइंस के मजदूरों को बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया. यूनियन ने उपायुक्त गुमला व आरक्षी अधीक्षक गुमला को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है. आवेदन में कहा है कि खनन कंपनी के इशारे पर घाघरा पुलिस अपने हक की मांग करने वाले मजदूरों के घरों की तलाशी लेकर कंपनी के पक्ष में काम कर रही है. मजदूर राजेंद्र उरांव को पकड़ कर थाना में रखा गया है, जबकि माइंस प्रबंधन द्वारा खनन क्षेत्र में गुंडा गिरोहों को पाल कर रखा गया है. उन गुंडा गिरोहों का मुंह नित्य प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है. जब कंपनी उनकी मांग पूरी नहीं करती है, तब इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं. यूनियन ने पूर्व में भी माइंस क्षेत्र की गुंडागर्दी की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी से कराने मांग की है.
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आवेदन में कहा है कि कंपनी जमीन दाता रैयत मजदूरों को स्थायी नौकरी, बोनस व समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं करती है. सन 2007 से पीएफ खातों में पीएफ का भुगतान नहीं किया गया है. यही कारण है कि खनन कंपनी व मजदूरों के बीच आंतरिक अंतर्विरोध बना रहता है. मजदूरों का शोषण करने के लिए कंपनी विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाती रहती है. कंपनी के विरुद्ध यूनियन ने सर्वोच्च न्यायालय नयी दिल्ली, श्रम न्यायालय धनबाद व श्रम न्यायालय रांची में कुल आठ मामले दर्ज कराये हैं, जो अभी विचाराधीन है. आवेदन में मजदूर राजेंद्र उरांव को अविलंब छोड़ने व मजदूरों को फंसाने की साजिश की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.
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