पुल निर्माण कैंप की जगह भी बदलेगा
ग्रामीणों ने उग्रवादियों से निबटने की योजना बनायी है. अब ग्रामीण रतजगा करेंगे. क्योंकि उग्रवादी पुलिस की डर से रात को ही घूमते हैं और विकास योजनाओं से लेवी वसूली करते हैं. इसलिए ग्रामीणों ने उग्रवादियों को घेरने के लिए अब रात को जागने का निर्णय लिया है. ग्रामीण पारंपरिक हथियार से लैस होकर रतजगा करेंगे. साथ ही अभी जिस स्थान पर पुल निर्माण के लिए कैंप बनाया गया है. उस कैंप का स्थान भी बदलने की योजना है. अभी कैंप सिसई प्रखंड क्षेत्र में है. परंतु जहां कैंप है, वह पूरा इलाका सुनसान है, जो उग्रवादियों के आने-जाने के लिए सुरक्षित माना जा रहा है. इसलिए ग्रामीणों ने डुको गांव के नजदीक पुल निर्माण का कैंप करने के लिए कहा है, ताकि दोबारा अगर उग्रवादी आये, तो उग्रवादियों की घेराबंदी की जा सके. ग्रामीणों ने कहा है कि अभी जहां कैंप हैं. वह डुको गांव से काफी दूर है और नदी के दूसरे छोर पर है. अगर उग्रवादी आकर हमला भी करते हैं, तो ग्रामीण जब मदद के लिए जायेंगे, तो जाने में समय लगेगा. तब तक उग्रवादी भाग सकते हैं. बता दें कि डुको सिकवार गांव के समीप कोयल नदी में छह करोड़ रुपये की लागत से हाई लेबल पुल का निर्माण हो रहा है. आजादी के 75 साल बाद पुल बनने से इस क्षेत्र के लोग खुश हैं. पुल बनने से सिसई व घाघरा प्रखंड के कई गांवों को दूरी कम हो जायेगी और दोनों प्रखंड में आवागमन सुचारू हो पायेगा. ग्रामीण कोयल नदी में लंबे समय से पुल बनाने की मांग कर रहे थे. अब जब पुल बनना शुरू हुआ, तो उग्रवादी बाधक बन रहे हैं. इसलिए ग्रामीणों ने पुल बनाने के लिए उग्रवादियों से लड़ने के लिए तैयार हो गये हैं. बता दें कि इस क्षेत्र से उग्रवादी पूरी तरह से समाप्त हो गया है. लेकिन अचानक टीएसपीसी उग्रवादी संगठन ने इस क्षेत्र में दस्तक दिया है. हालांकि इनकी संख्या 10 से 12 बतायी जा रही है. परंतु, यह पुलिस की लिए बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि, टीएसपीसी पहले भी इस क्षेत्र में पांव पसारने का प्रयास किया था. परंतु पुलिस की दबिश के बाद यह संगठन बढ़ नहीं सका. इधर पुन: यह संगठन घाघरा व सिसई क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा है.