गुमला के बसिया, पालकोट व कामडारा प्रखंड में सोलर जलमीनार लगाने में सरकारी राशि की लूट हुई है. साथ ही जिस मकसद से सोलर जलमीनार लगायी गयी है, उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. कुछ सोलर जलमीनार को छोड़ दिया जाये, तो इन तीनों प्रखंड में 60 से 65 प्रतिशत जलमीनार खराब पड़ी हैं. इसमें पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से लगायी गयी जलमीनार में काफी भ्रष्टाचार हुआ है. 14वें व 15वें वित्त मद से लगी अधिकांश जलमीनार खराब हैं. हालांकि, अधिकारियों को इसकी जानकारी है, परंतु वे जांच से भाग रहे हैं.
मेंटेनेंस की राशि को दूसरी योजनाओं में खर्च किया : बसिया प्रखंड में मुख्यमंत्री नल जल योजना, पेयजल स्वच्छता विभाग, विधायक फंड, 14वें व 15वें वित्त मद से 15 पंचायतों में 177 जलमीनार लगायी गयी हैं, जिसमें 75 प्रतिशत से अधिक जलमीनार खराब पड़ी हैं. 14वें व 15वें वित्त मद से एक जलमीनार की कीमत दो लाख, 49 हजार रुपये थी, जबकि विधायक मद से बनी जलमीनार की कीमत आठ लाख रुपये है.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से बनी जलमीनार की कीमत चार लाख, 55 हजार रुपये हैं, जिसमें एक जलमीनार की मेंटेनेंस राशि करीबन 60 हजार रुपये है. इसका लेखा-जोखा पंचायत सचिव के पास होता था, परंतु, मेंटेनेंस राशि को सुरक्षित नहीं रखा गया और अधिकतर जलमीनार की मशीन खराब हैं, जिससे सभी ठप पड़ी है. मेंटेनेंस के पैसे को अधिकारियों ने दूसरी योजना में खर्च कर दिये हैं.
पालकोट प्रखंड में मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत बनायी गयी जलमीनार हाथी के दांत साबित हुए हैं. प्रखंड की 14 पंचायतों में जलमीनार लगी है. लेकिन आधे से अधिक खराब है. जलमीनार संवेदक द्वारा जैसे जैसे लगा कर चलते बने हैं. सभी जगहों की जलमीनार शत-प्रतिशत खराब है. गांवों में जलमीनार लगते कुछ माह से खराब हो गयी, जिसकी अबतक मरम्मत नहीं हुई. खराब जलमीनार की मरम्मत की ओर न तो पंचायतों के जनप्रतिनिधियों का ध्यान है और न ही सरकारी कर्मचारियों का. आये दिन लोग पानी की समस्या को लेकर परेशान रहते हैं.
कामडारा प्रखंड में अधिकांश सोलर जलमीनार की स्थिति खराब है. उल्लेखनीय है कि कामडारा प्रखंड की सभी पंचायतों में मुख्यमंत्री जल नल के तहत जलमीनार का निर्माण किया गया है. संवेदक द्वारा जैसे-तैसे बना कर पूरा कर दिया गया है. जलमीनार लगाने में महज खानापूर्ति की गयी है. इस बाबत ग्रामीण शंकर साहू, उमा देवी, राहुल साहू, मदन साहू, बुका तोपनो समेत अन्य ग्रामीणों ने कहा कि शुरू से ही सोलर जलमीनार निर्माण कार्य में अनियमितता बरती गयी है. इसमें घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. परिणाम स्वरूप सोलर जलमीनार जल्द खराब हो गयी. लोग कुआं व चापानल का पानी का उपयोग कर रहे हैं.