गुमला : हर तरफ कोरोना की बात हो रही है. ऐसे में खेती-किसानी की बात भी जरूरी है. क्योंकि किसान खेत में फसल नहीं उगायेंगे, तो हम क्या खायेंगे. किसान अन्नदाता हैं. किसान हैं तो हम हैं. ऐसे में प्रभात खबर ने खेती-किसानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र गुमला से प्राप्त की है. ये वे जानकारियां हैं तो किसानों के लिए फायदेमंद हैं. साथ ही आम जनता के लिए मौसम से संबंधित जानकारी है.
कुछ दिनों से गुमला का मौसम ठीक है. सिर्फ दोपहर में तेज धूप लग रही है. शाम को अचानक बादल छा रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार अगले कुछ दिनों तक मौसम ठीक रहेगा. हल्के बादल छाये रहेंगे. हल्की बारिश की संभावना है. इस बार आम व लीची के अच्छे पैदावार की उम्मीद है. कोरोना काल में हरी साग सब्जियां सहित फल का सेवन जरूरी है. ऐसे में गुमला जिला के किसानों ने इस बार सब्जियों व फलों की अच्छी खेती की है, जो फिलहाल में बाजार में उपलब्ध है. अभी खेत में कई प्रकार की सब्जियां व फल तैयार हो रही है, जो कुछ दिनों के बाद बाजार में नजर आयेगी.
अगले कुछ दिनों तक आकाश में हल्के बादल छाये रहेंगे. छिटपुट बारिश एवं मेघ गर्जन के साथ वज्रपात होने की संभावना है.
दिन के तापमान में बढ़ोतरी के साथ तेज हवा चलेगी. हवा की गति के कारण पौधों के पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है. किसान भाई अपने फसलों व सब्जियों को नियमित रूप से सिंचाई करते रहें.
रबी की जो भी फसल तैयार हो चुकी है. उसकी अविलंब कटाई कर लें. फसल काटने के बाद अगर मिट्टी में नमी मौजूद हो तो खेत की जुताई कर दें. इस दौरान खेत में पाटा नहीं चलायें. मिट्टी को खुला छोड़ देने से इसमें मौजूद खरपतवार व कीड़े मकोड़े नष्ट हो जायेंगे. तापमान बढ़ोतरी के कारण मवेशियों को लू लगने की संभावना है. इसलिए किसान मवेशियों पर नजर रखें. टमाटर के फल को छेदक कीट की रोकथाम हेतु जैविक कीटनाशी (नीम आधारित) 500 पीपीएम को पांच मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
खेतों में जलजमाव बनाये रखने के लिए मेढ़ को दुरुस्त रखें. समय से रोपे गये फसल में रोपा के 40 से 45 दिनों बाद यूरिया का दूसरा भुरकाव करें. भुरकाव के पहले खरपतवार अवश्य हटा लें.
जो किसान गेंहू फसल की कटाई कर चुके हैं. वे काटे हुए फसल को धूप में अच्छी तरह सुखाने के बाद ही थ्रेशिंग करें. अनाज भंडारण के पूर्व में भी गेंहू को अच्छी तरह सुखा लें. जो किसान अभी तक गेंहू की कटाई नहीं किये हैं. वे जल्द से जल्द कटाई कर लें. अन्यथा दाने खेत में ही छड़ने लगेंगे.
फसल काटते समय लूज स्मट रोग से ग्रसित बालियां अगर दिखायी पड़े तो उन्हें सावधानी पूर्वक तोड़कर जला कर नष्ट कर दें. रोगी बालियों को काटते समय सावधानी बरते कि उसका चूर्ण जमीन पर नहीं गिरे.
खेती किसानी से जुड़े किसान गरमा मूंग में निकाई गुड़ाई कर मिटटी चढ़ाने के बाद आवश्यता अनुसार सिंचाई करें. इससे लाभ होगा.
सब्जियों जैसे खीरा, ककड़ी, कददू, कदीमा में जो ज्यादा बढ़ गया है. उसमें झांकी लगा दें. जिससे पत्तियों एवं फलों का संपर्क सीधे मिटटी से नहीं हो सके. अगर पौधों पर सफेद चूर्ण दिखायी पड़े तो अविलंब कैराथेन दवा का छिड़काव एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से करें.
आम व लीची के पेड़ों में फल लगने के बाद नियमित रूप से सिंचाई करते रहे. छोटे छोटे फल को गिरने से बचाने के लिए पेड़ों में प्लानोफिक्स हारमोन का छिड़काव पांच मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी की दर से करें.
इस समय प्याज व लहसुन फसलों में कीड़ों एवं रोगों का आक्रमण देखा जा रहा है. फसल को इन कीड़ों व रोगों से बचाने के लिए कीटनाशी दवा कंटाफ या सितारा एक मिलीलीटर प्रति लीटर व फफूंदीनाशी दवा डाइथेन एम 45 का छिड़काव करें.
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Posted By : Sameer Oraon