शहीद तेलंगा खड़िया के वंशज जोगिया के कब्र के बगल में पत्नी को दफनाया,बेटे ने 2000 खर्च कर गांव लाया था शव
शहीद तेलंगा खड़िया के परपोता जोगिया खड़िया के निधन के बाद उनकी पत्नी पुनिया खड़िया का भी निधन रांची के रिम्स में हो गया. पुनिया भी काफी समय से बीमार थी. पुनिया को भी पति के कब्र के बगल में दफनाया गया है. वहीं, निधन के बाद पुत्र ने अपनी मां का शव 2000 हजार रुपये खर्च कर गांव लाने को मजबूर हुआ.
Jharkhand news: वीर शहीद तेलंगा खड़िया के परपोता जोगिया खड़िया के बाद उसकी पत्नी पुनिया खड़िया (61 वर्ष) का भी रांची के रिम्स में इलाज के क्रम में निधन हो गया. पुनिया की मौत के बाद उसके शव को बेटा विकास खड़िया अपने गांव सिसई प्रखंड के घाघरा नागफेनी लेकर पहुंचा. रविवार को स्वर्गीय जोगिया खड़िया के कब्र के बगल में पुनिया के शव को भी दफनाया गया. पुत्र विकास खड़िया ने बताया कि रिम्स में मौत के बाद उसकी मां पुनिया के शव को रिम्स प्रबंधन ने सौंप दिया. दो हजार रुपये में गाड़ी बुक कर शव को गांव लाये.
कई दिनों से बीमार चल रही थी पुनिया
बता दें कि पुनिया कई दिनों से बीमार चल रही थी. समय पर उसके इलाज का प्रबंध नहीं होने से उसकी मौत हुई है. गत 10 अप्रैल को जब जोगिया खड़िया का निधन हुआ. उस समय ही पुनिया बीमार थी. पति की मौत के बाद उसकी स्थिति और खराब हो गयी थी. पुनिया गांव में ही इलाज करा रही थी. 15 अप्रैल को जब पुनिया की स्थिति खराब हो गयी, तो पुत्र विकास खड़िया ने सिसई बीडीओ सुनीला खलखो को फोन कर मां की स्थिति के बारे में जानकारी दिया. तब बीडीओ ने पुनिया को सिसई अस्पताल में भर्ती कराया. जहां से गुमला सदर अस्पताल रेफर कर दिया. गुमला से भी पुनिया को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया. जहां शनिवार को उसकी मौत हो गयी.
बेटे ने समय पर इलाज नहीं होने का लगाया आरोप
पुत्र विकास खड़िया ने कहा कि अगर समय से उसके पिता एवं मां का इलाज होता, तो आज दोनों जीवित रहते. लेकिन, पिता की मौत के एक सप्ताह बाद मां का भी निधन हो गया. दोनों लंबे समय से बीमार थी, लेकिन गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पा रहे थे और गांव में ही झाड़-फूंक करा रहे थे. जबकि प्रभात खबर ने गत 12 अप्रैल को ही खबर प्रकाशित कर पुनिया खड़िया के बीमार होने की जानकारी दिया था. इसके बाद प्रशासन ने 15 अप्रैल को सुध लिया. इधर मां एवं पिता की मौत के बाद विकास खड़िया अकेला घर में बचा है. दफन क्रिया में सिसई सीओ अरुणिमा एक्का, झारखंड स्वतंत्र सेनानी कोषांग, गृह मंत्रालय के सदस्य प्रवीर लाल साहदेव सहित स्थानीय ग्रामीण एवं रिश्तेदार उपस्थित थे.
जॉन्डिस बीमारी से पीड़ित थी पुनिया
पुनिया खड़िया गंभीर रूप से पीलिया (जॉन्डिस) रोग से ग्रसित थी. उनके दोनों पैर एवं हाथों में सूजन था. शारीरिक रूप से काफी कमजोर है. इसलिए उसे सिसई से गुमला सदर अस्पताल फिर रांची रेफर कर दिया गया था.
प्रशासन अब बेटे की करे मदद
जोगिया और पुनिया की मौत के बाद एकलौता बेटा विकास खड़िया बचा है जो शहीद तेलंगा खड़िया का वंशज है. गरीबी के कारण विकास भी इंटर की पढ़ाई छोड़ चुका है और गोवा में मजदूरी करता है. अब जरूरत है कि प्रशासन व सरकार विकास खड़िया की मदद करे, ताकि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण कर गांव में ही रह सके.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.