जयनगर में दलित परिवारों को रोका, पुलिस ने करायी पूजा

जयनगर: कोडरमा के जयनगर प्रखंड के ग्राम रेभनाडीह में सोमवार को अाषाढ़ी पूजा में विवाद हो गया. आरोप है कि पुजारी धर्मदेव यादव ने दलितों को गांव के देवी मंडप में पूजा करने से रोक दिया. इसको लेकर गांव में दो पक्ष के बीच तनाव हो गया. इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को दी गयी. सूचना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2017 12:37 PM
जयनगर: कोडरमा के जयनगर प्रखंड के ग्राम रेभनाडीह में सोमवार को अाषाढ़ी पूजा में विवाद हो गया. आरोप है कि पुजारी धर्मदेव यादव ने दलितों को गांव के देवी मंडप में पूजा करने से रोक दिया. इसको लेकर गांव में दो पक्ष के बीच तनाव हो गया. इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को दी गयी. सूचना मिलते ही पुलिस निरीक्षक राजवल्लभ पासवान, बीडीओ मनोज कुमार गुप्ता, थाना प्रभारी हरिनंदन सिंह दलबल के साथ रेभनाडीह पहुंच. लोगों को समझा कर पूजा संपन्न कराया. इधर, दूसरे पक्ष ने आरोपों से इनकार किया है. थाना प्रभारी हरिनंदन सिंह ने दोनों पक्षों से अफवाहों पर ध्यान न देने व शांति बनाये रखने की अपील की है.
जानकारी के मुताबिक, सोमवार सुबह दलित समाज के लोग अन्य लोगों की पूजा के बाद मंडप पहुंचे थे. इसके बाद पुजारी ने पूजा करने से इनकार कर दिया. ऐसे में आक्रोशित लोग मंडप के बाहर बैठ गये.
बाद में पुलिस आने पर उन्होंने पूजा की. लोगों ने आरोप लगाया कि पुजारी ने कहा कि वे यहां पूजा नहीं कर सकते हैं. गांव के लोगों ने मना किया है. दलित समाज की महिला हेमंती देवी (पति- जागेश्वर पासवान) ने बताया कि पुजारी ने पूजा करने से रोका है.
क्या कहा दूसरे पक्ष के लोगों ने
ग्रामीण महादेव यादव ने बताया कि पूजा को लेकर रविवार को हुई बैठक में दलित समाज के लोगों को बुलाया गया था. पर वे शामिल नहीं हुए. तब अलग पूजा करने का निर्णय लिया गया. यह भी निर्णय लिया गया था कि दलित समाज ने चंदा दिया है, तो उन्हें भी पूजा में शामिल किया जायेगा, अन्यथा अलग से पूजा होगी. उक्त निर्णय के आलोक में हमलोगों ने अलग से पूजा की है. किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है. वहीं, दलित समाज के लोगों से कहना है कि उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है. बैठक में भी उन्हें नहीं बुलाया गया था.
क्या कहा पुजारी ने : पुजारी ने पुलिस को बताया कि मंडप पर संयुक्त रूप से एक बलि दी जाती है. इसमें दलित समाज के लोग शामिल नहीं हुए. वे अलग से पूजा करने पहुंचे थे. मगर देवी मंडप में एक ही बलि की प्रथा है. दूसरी बलि का संकल्प स्वयं उन्हें करना पड़ता है, जो पूजा करते हैं. इसलिए उन्होंने संकल्प नहीं कराया.

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