बदहाली: अंगरेजों के जमाने का स्टेशन है, भुरकुंडा रेलवे स्टेशन पर सुविधाएं नहीं, परेशानी
भुरकुंडा: अंगरेजों के जमाने में खनिज-संपदा की ढुलाई के लिए सीआइसी रेलखंड पर स्थापित भुरकुंडा रेलवे स्टेशन आज भी सुविधाओं का अभाव झेल रहा है. समय के साथ इस रेलवे स्टेशन का चरित्र भी बदला. मालगाड़ी के साथ यहां पैसेंजर ट्रेन की आवाजाही भी शुरू हो गयी. वर्तमान में 10 पैसेंजर व एक्सप्रेस टेनों का […]
भुरकुंडा: अंगरेजों के जमाने में खनिज-संपदा की ढुलाई के लिए सीआइसी रेलखंड पर स्थापित भुरकुंडा रेलवे स्टेशन आज भी सुविधाओं का अभाव झेल रहा है. समय के साथ इस रेलवे स्टेशन का चरित्र भी बदला. मालगाड़ी के साथ यहां पैसेंजर ट्रेन की आवाजाही भी शुरू हो गयी. वर्तमान में 10 पैसेंजर व एक्सप्रेस टेनों का यहां ठहराव होता है.
एक बड़ी आबादी इस स्टेशन पर निर्भर है. बावजूद इसके यहां यात्री सुविधाओं का अभाव है. मसलन शौचालय, पेयजल से लेकर साफ-सफाई तक का बुरा हाल है. हाल के दिनों में यहां पहुंचने वाले यात्रियों को प्रदूषण की भारी मार झेलनी पड़ती है. कुछ दिनों पूर्व रेलवे ने स्टेशन से बिल्कुल सट कर कोयला व आयरन ओर की लोडिंग-अनलोडिंग का कार्य शुरू कर दिया जाना है. लोडिंग-अनलोडिंग के क्रम में ट्रांसपोर्टर मानकों का ख्याल नहीं रखते हैं. इसका सीधा खामियाजा ट्रेन के इंतजार करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.
लंबे संघर्ष का भी नहीं निकला परिणाम : स्टेशन को सुविधा युक्त करने के लिए कोयलांचल के लोगों ने काफी लंबा संघर्ष किया, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला. यहां के राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन व चेंबर ऑफ कॉमर्स जैसी संस्थाओं ने कई बार इसके लिए पत्राचार किया. वहीं, एक्सप्रेस ट्रेन के ठहराव व सुविधाओं की मांग पर आंदोलन भी हुआ. रेलवे ने यहां सुविधाएं बढ़ाने के विपरीत आंदोलन को ही कुचलने का काम किया. जब भी आंदोलन हुआ, आंदोलनकारियों पर केस कर दिया गया.