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बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने हजारीबाग में कहा, भुइयां को मिले अनुसूचित जनजाति का दर्जा

हजारीबाग : झारखंड भुइयां समाज संघर्ष समिति का झकाझोर झूमर रविवार को कर्जन ग्राउंड स्टेडियम में हुआ. कार्यक्रम का उदघाटन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, विधायक मनीष जायसवाल, समाजसेवी प्रदीप प्रसाद ने दीप प्रज्जवलित कर किया. कार्यक्रम में कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर सभी का मन मोह लिया. वहीं कार्यक्रम के माध्यम से […]

हजारीबाग : झारखंड भुइयां समाज संघर्ष समिति का झकाझोर झूमर रविवार को कर्जन ग्राउंड स्टेडियम में हुआ. कार्यक्रम का उदघाटन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, विधायक मनीष जायसवाल, समाजसेवी प्रदीप प्रसाद ने दीप प्रज्जवलित कर किया.

कार्यक्रम में कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर सभी का मन मोह लिया. वहीं कार्यक्रम के माध्यम से कलाकारों ने भुइयां समाज की स्थिति की वास्तविकता पर लोगों का ध्यान खींचा. इनके हालत को सुधारने एवं सरकारी नीतियों के तहत सहायता उपलब्ध कराने की मांग सरकार से की. जीतन राम मांझी ने कहा कि भुइयां समाज तुलसी वीर देवता की पूजा करते हैं, जो असल में जल-जंगल और जमीन की पूजा है. काफी संघर्ष के बाद वर्ष 1976 में इस जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया गया. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भुइयां जाति मूल रूप से अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आती है.

उन्होंने सरकार से भुइयां जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर उन्हें सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की. मनीष जायसवाल ने कहा कि करमा पूजा, जितिया, सिराघर पूजा इस बात को दर्शाता कि भुइयां आदिम जनजाति हैं. समाज के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन राम नायक ने कहा कि 1952 के पूर्व तक भुइयां जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में रही है.

अंग्रेज कमिश्नर डलटन ने भी भुइयां को आदिवासी कहा था. समाज ने झारखंड सरकार से भुइयां जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में जल्द शामिल करने की मांग की. कार्यक्रम में अनिल भुइयां, विश्वनाथ भुइयां, नुनूलाल भुइयां, इंद्रदेव राम, भोला भुइयां, इंद्रदेव भुइयां, चमारी भुइयां, गोपाल मांझी, नंदेश्वर भुइयां, रामचंद्र, बसंत भुइयां, रामपुल, भोला, गोविंद, महादेव, सियाचरण समेत झारखंड के कई जिलों से लोग शामिल हुए.

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