पहल. जनप्रतिनिधियों ने नहीं ली सुधि, गुस्साये ग्रामीण, श्रमदान कर बनायी सड़क

चरही: दाहुदाग के ग्रामीणों का सब्र आखिर टूट गया. जब सांसद, विधायक व प्रशासन ने गांव की ओर ध्यान नहीं दिया, तब ग्रामीणों ने खुद सड़क निर्माण की बीड़ा उठायी. ग्रामीणों ने श्रमदान कर तीन किलोमीटर तक कच्ची सड़क का निर्माण किया. ज्ञात हो कि चुरचू प्रखंड मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2017 11:45 AM
चरही: दाहुदाग के ग्रामीणों का सब्र आखिर टूट गया. जब सांसद, विधायक व प्रशासन ने गांव की ओर ध्यान नहीं दिया, तब ग्रामीणों ने खुद सड़क निर्माण की बीड़ा उठायी. ग्रामीणों ने श्रमदान कर तीन किलोमीटर तक कच्ची सड़क का निर्माण किया. ज्ञात हो कि चुरचू प्रखंड मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर इंद्रा पंचायत के चारों ओर पहाड़ से घिरा सुदूरवर्ती उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में दाहुदाग में स्थित है. गांव में 65 परिवार रहते हैं. यहां की आबादी करीब 350 है.

श्रमदान कर सड़क निर्माण करनेवालों में बैजू महतो, कैलाश महतो,भुवनेश्वर महतो, विजय महतो, हरि महतो, समीर महतो, शांति देवी, पारो देवी, अर्जुन महतो, महेश महतो, रमेश महतो, दीपक कुमार, तुलसी महतो, निर्मल महतो, सुनील महतो, नारायण महतो, लोकनाथ महतो, अनिल महतो, गुरुदयाल महतो, प्रेमचद महतो आदि थे.
गांव का नहीं हुआ विकास
दाहुदाग गांव विकास से कोसों दूर है. गांव में आज भी सड़क, सिंचाई व शिक्षा की सुविधा नहीं है. ग्रामीणों से चंदा इकठ्ठा कर बिजली की तार खरीदा, जिसके बाद गांव तक बिजली पहुंची. बिजली विभाग की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है, जबकि बिजली बिल ग्रामीणों को निर्धारित समय पर चुकाना पड़ता है. गांव में एक उत्क्रमित विद्यालय है. हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए बच्चे 10 किमी दूर दो पहाड़ पार कर चरही जाते हैं. लड़कियों के आवागमन में काफी परेशानी होती है. कस्तूरबा विद्यालय में छात्राओं ने दाखिला के लिए आवेदन किया था, लेकिन कुछ बच्चियों का नहीं हो पाया. दाहुदाग में सिचाई की कोई सुविधा नहीं रहने के कारण किसानों को परेशानी होती है. गांव के लोगों का जीविका का साधन खेती ही है.

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