फरजी हुकूमनामा बनवा कर जुलू पार्क की जमीन पर कर दी दावेदारी

हजारीबाग: हजारीबाग शहर के चर्चित जुलू पार्क के 1.75 एकड़ पर दावा करनेवालों पर प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. डीसी रविशंकर शुक्ला ने स्वरूप चटर्जी, आदित्य मेहता और अजय मेहता पर फरजी हुकूमनामा बनाने और तत्कालीन डीसी का नकली हस्ताक्षर बना कर जमीन पर दावेदारी पेश करने का खुलासा किया है. इस जमीन की जांच रिपोर्ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2017 12:09 PM
हजारीबाग: हजारीबाग शहर के चर्चित जुलू पार्क के 1.75 एकड़ पर दावा करनेवालों पर प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. डीसी रविशंकर शुक्ला ने स्वरूप चटर्जी, आदित्य मेहता और अजय मेहता पर फरजी हुकूमनामा बनाने और तत्कालीन डीसी का नकली हस्ताक्षर बना कर जमीन पर दावेदारी पेश करने का खुलासा किया है. इस जमीन की जांच रिपोर्ट आयुक्त के माध्यम से राजस्व बोर्ड, झारखंड सरकार के पास भेजा गया है. डीसी ने यह पूरी कार्रवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर की है.
तीन खाता में कुल 8.75 एकड़ जमीन : प्रफुल्लेनाथ टैगोर की हजारीबाग जुलू पार्क में तीन खाता में कुल 8.75 एकड़ जमीन थी. इसमें से खाता 202, प्लॉट -1108, कुल रकवा 3.39 एकड़, बकास्त स्वरूप जमीन थी. दूसरा खाता 203, प्लॉट-652, 1107, कुल रकवा 3.61 एकड़ जमीन गैरमजरूवा खास थी. तीसरा खाता 204 प्लॉट नंबर 652-1106 कुल रकवा 1.75 एकड़ केसरे हिंद जमीन है.
कई लोगों को सेल डीड किया : एडमिस्ट्रेटर जेनरल वेस्ट बंगाल खाता-203 के गैरमजरूवा जमीन को 1950 से 1953 के बीच कई लोगों को सेल डीड किया गया, जबकि खाता नंबर 202 में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल का कार्यालय और कुछ निजी लोगों की दखल में उस समय से अभी तक है. अब खाता नंबर 204 जो केसरे हिंद की जमीन 1.75 एकड़ थी, इस जमीन पर 1912 से पीडब्लूडी का कार्यालय व अधिकारियों का आवासीय भवन स्थित है. इसी जमीन पर पर आदित्य मेहता और अजय मेहता ने पावर ऑफ अटर्नी प्राप्त कर मालिकाना हक की दावेदारी की थी.
तीस सदस्यीय टीम ने की जांच : हाइकोर्ट ने डीसी हजारीबाग को मार्च-2017 में जुलू पार्क के खाता नंबर 204 केसरे हिंद जमीन 1.75 एकड़ के मालिकाना हक पर जांच का आदेश दिया. डीसी ने तीन सदस्यीय कमेटी विधि प्रभारी विवेक कुमार मेहता, अपर समाहर्ता दिलीप तिर्की, अपर समाहर्ता भूहथबंदी प्रदीप कुमार तिग्गा को जांच का जिम्मा सौंपा.
तब हुकूमनामा देने का अधिकार जमींदार को था
प्रफुल्ले टैगोर के परिजन के रूप में दावेदार बन कर आये स्वरूप चटर्जी कोलकाता के हुकूमनामा और पावर ऑफ अटर्नी हजारीबाग इचाक के आदित्य मेहता और अजय मेहता को दिये कागजात की जांच की गयी. जांच टीम ने पाया कि जुलू पार्क के खाता नंबर-204 केसरे हिंद जमीन है, जो 1950 के बाद से खरीद फरोख्त नहीं हो सकता है. इसके बावजूद पावर ऑफ अटर्नी 2008 में दिया गया. जांच टीम ने पाया कि तीन सितंबर 2008 को स्वरूप चटर्जी ने टैगोर परिवार के परिजनों से पावर ऑफ अटर्नी लिया. तुरंत 17 अक्तूबर 2008 को हजारीबाग के आदित्य मेहता और अजय मेहता को पावर ऑफ अटर्नी दे दिया गया, जो नियम संगत नहीं है. जांच टीम ने पाया कि 1929 का हुकूमनामा तत्कालीन उपायुक्त एडी टकी ने दिया है. जबकि 1929 में हुकूमनामा देने का अधिकार जमींदार को था. हुकूमनामा में जो हस्ताक्षर एटी टकी के हैं, उसका मिलान रजिस्ट्री ऑफिस में तत्कालीन उपायुक्त एडी टकी के हस्ताक्षर से किया गया, जो अलग निकला. तत्कालीन डीसी मनीष रंजन द्वारा हुकूमनामा के आधार पर आवेदक स्वरूप चटर्जी के पक्ष में पारित आदेश भी अवैध घोषित हो गया. डीसी ने बताया कि जांच टीम की रिपोर्ट आने के बाद स्वरूप चटर्जी, आदित्य मेहता और अजय मेहता से भी पक्ष रखने को कहा गया, लेकिन इनकी ओर से कोई कागजात उपलब्ध नहीं कराया गया. डीसी ने बताया कि स्वरूप चटर्जी, अजय मेहता, आदित्य मेहता पर केसरे हिंद जमीन के फरजीवाड़ा, हुकुमनामा, तत्कालीन डीसी के नकली हस्ताक्षर और अन्य साक्ष्य के आधार पर एफआइआर का आदेश दिया गया है.
रवींद्रनाथ टैगोर के परिजनों से जुड़ी है जमीन
हजारीबाग शहर के पॉश इलाका जुलू पार्क में 8.75 एकड़ जमीन के खेवटदार रवींद्रनाथ टैगोर के परिजन प्रफुल्लेनाथ टैगोर थे. 1928 ई में प्रफुल्लेनाथ टैगोर की मृत्यु हो गयी. निधन से पहले वह विल इच्छा पत्र लिख कर गये थे, जिसमें अपनी पूरी संपति हजारीबाग के जमीन को एक ट्रस्टी को सौंपने की बात कही थी. साथ ही मृत्यु के 15 साल बाद कोलकाता आलमगीर बाजार का बंगला व बगीचा अपने सात बेटों के नाम करने की इजाजत ट्रस्टी को दी थी. प्रफुल्लेनाथ टैगोर की मृत्यु के बाद ट्रस्टी ने बढ़ती देनदारी को देख पूरी जमीन और संपत्ती की नीलामी कर दी. एडमिस्ट्रेटर जेनरल ऑफ वेस्ट बंगाल ने 1950 में हाइकोर्ट की मध्यस्थता से प्रॉपर्टी ले ली.

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