Loading election data...

हजारीबाग : देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम उठायेंगे : यशवंत सिन्हा

II सलाउद्दीन II हजारीबाग : पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने देश में लोकतंत्र बचाने के लिए काम करने का एलान किया है. चार साल पहले ही चुनावी राजनीति से अलग होने के बाद श्री सिन्हा ने 21 अप्रैल को भाजपा से अलग होने की घोषणा की. वे गैर राजनीतिक राष्ट्र मंच के तहत पूरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2018 9:09 AM
II सलाउद्दीन II
हजारीबाग : पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने देश में लोकतंत्र बचाने के लिए काम करने का एलान किया है. चार साल पहले ही चुनावी राजनीति से अलग होने के बाद श्री सिन्हा ने 21 अप्रैल को भाजपा से अलग होने की घोषणा की.
वे गैर राजनीतिक राष्ट्र मंच के तहत पूरे देश में घूम कर लोकतंत्र को जो खतरा है, उससे जनता को अवगत करायेंगे. किसान, युवाओं, गरीबों के हालात और देश की खराब आर्थिक स्थिति के बारे में लोगों को बतायेंगे. लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम उठायेंगे.
उन्होंने कहा कि देश में 1975 में जो इमरजेंसी लगी थी, उससे भी ज्यादा खराब आज के हालात हैं. प्रभात खबर संवाददाता ने यशवंत सिन्हा से भाजपा छोड़ने के कारणों और देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
सवाल़ देश में लोकतंत्र पर खतरा कैसे है ?
जवाब़ संसद को सत्ताधारी दल ने ही नहीं चलने दिया. संसद के बजट सत्र को सत्ताधारी पार्टी द्वारा ही बाधित किया गया है. प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों के साथ एक बैठक भी नहीं की. संसद कैसे चले, क्या तकलीफ है, यह जानने का प्रयास नहीं किया. अटल बिहारी वाजपेयी की जब सरकार थी, तब ऐसे कार्यों को कभी रोका नहीं गया. भारत का लोकतंत्र ऐसा है कि सत्ता और विपक्ष एक-दूसरे की चिंता करते हैं.
आज स्थिति बिल्कुल विपरीत बना दी गयी है. लोकतंत्र में दूसरा बड़ा स्तंभ सुप्रीम कोर्ट है. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने पत्रकार सम्मेलन कर जनता को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का संचालन ठीक से नहीं हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट के बारे में जो चार जजों ने राय रखी. उसमें चीफ जस्टिस पर ही सवाल उठाया गया. इस मामले में भी सरकार कटघरे में दिखी. लोकतंत्र में चुनाव कमीशन का अपना एक अलग स्थान है, लेकिन चुनाव कमीशन ने हिमाचल और गुजरात में एक साथ चुनाव नहीं कराया.
गुजरात चुनाव के बीच में लोकसभा का सत्र बाधित किया गया. इससे इस संस्थान की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. इसके पीछे भी सरकार का हस्तक्षेप दिखता है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया पर जिस तरह से नियंत्रण किया जा रहा है, वह ठीक नहीं है़
सवाल़ : 25 वर्ष तक भाजपा से जुड़े रहने के बाद पार्टी छोड़ने का निर्णय क्यों लिया?
जवाब़ भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. दो नेता बोलेंगे, बाकी करोड़ों कार्यकर्ता सुनेंगे. वन वे ट्रैफिक पार्टी में हो गया है. 2014 में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ जीत कर आयी. भारतीय राजनीति में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई. लोगों को इस सरकार से बहुत ज्यादा आशा थी, लेकिन सरकार ने देश में बदलाव लाने का अवसर खो दिया. हमेशा चुनावी मोड में रही.
सवाल : रेप की घटनाओं और सामाजिक तनाव के लिए सरकार पर क्यों निशाना साध रहे हैं ?
जवाब़ इस सरकार में रेप का राजनीतिकरण, संप्रदायीकरण कर दिया जा रहा है. कठुआ व उन्नव में आरोपियों को बचाने के लिए पूरा सरकारी तंत्र लग गया़ यह गलत है. ऐसी घटनाएं पहले भी होती थीं, लेकिन संप्रदायीकरण नहीं होता था. पूरी दुनिया में भारत की निंदा हुई है.
सवाल़ : सरकार का दुनिया में सबसे तेज आर्थिक ग्रोथ का दावा सही है ?
जवाब़ देश की आर्थिक स्थिति खतरनाक स्थिति में पहुंच गयी है. सरकार का दावा है कि हम दुनिया में सबसे तेज आर्थिक विकास कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और है. किसानों की परेशानी बढ़ रही है. युवाओं के पास रोजगार नहीं है. बैंकों की स्थिति खराब है. देश के आर्थिक विकास में सेविंग एंड इनवेस्टमेंट आधार है. आर्थिक ग्रोथ पिछड़ रहा है. 34 से 30 फीसदी इनवेस्टमेंट हो गया है.
सवाल़ : जयंत सिन्हा भाजपा में हैं, फिर आपने ऐसा निर्णय क्यों लिया ?
जवाब़ हमदोनों से यह सवाल सभी लोग पूछते हैं. जयंत सिन्हा की अपनी राजनीति व राय है. हमारी राजनीति व राय अलग है. एक परिवार में अलग-अलग पार्टी में कई लोग राजनीति कर रहे हैं. 1984 में जब मैं आइएएस की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आया, उस समय मेरे बच्चे सेटल नहीं थे. परिवार के लोगों ने कहा था यह गलत निर्णय है, लेकिन राजनीति में आकर काफी काम किया.

Next Article

Exit mobile version