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बड़कागांव के कारतरी नदी पर पुल नहीं होने से 12 गांवों का आवागमन प्रभावित, लंबी दूरी तय कर ग्रामीण जाते हैं बाजार

Jharkhand news, Hazaribagh news : हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड स्थित कारतरी नदी पर 6 साल पहले पुल के खंभों के बह जाने के बाद आज तक इस पुल का निर्माण नहीं हो सका है. इससे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों का आवागमन ठप है. इस कारण सब्जियों एवं अनाज का आयात- निर्यात करने में किसानों को काफी परेशानी होती है. पुल के नहीं होने से करीब 25,000 की आबादी प्रभावित हो रही है. वहीं, ग्रामीणों को बड़कागांव बाजार आने के लिए 2 किलोमीटर की जगह 24 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है.

Jharkhand news, Hazaribagh news : बड़कागांव (संजय सागर) : हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड स्थित कारतरी नदी पर 6 साल पहले पुल के खंभों के बह जाने के बाद आज तक इस पुल का निर्माण नहीं हो सका है. इससे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों का आवागमन ठप है. इस कारण सब्जियों एवं अनाज का आयात- निर्यात करने में किसानों को काफी परेशानी होती है. पुल के नहीं होने से करीब 25,000 की आबादी प्रभावित हो रही है. वहीं, ग्रामीणों को बड़कागांव बाजार आने के लिए 2 किलोमीटर की जगह 24 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता है.

मालूम हो कि कारतरी नदी पर बने पुल का 2 खंभा 7 साल पहले टूट गया था. सूचना पाकर तत्कालीन कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने इसकी सुध ली थी. उन्‍होंने राज्य सरकार से दोबारा इस पुल को बनवाने की अनुशंसा भी किया था. इस पुल के खंभों के बहने के बाद क्षेत्र के सांसद सह पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्‍हा भी इसका निरीक्षण करने पहुंचे थे. उस दौरान ग्रामीणों ने मंत्री से शीघ्र पुल निर्माण की मांग की थी.

कारतरी के ग्रामीणों ने संयुक्त हस्ताक्षर युक्त आवेदन पत्र सांसद को भी सौंपा था, लेकिन अब तक पुल नहीं बन पाया. प्रखंड का यह सबसे बड़ा पुल है. यहां पुल- पुलिया नहीं बनने से यातायात पूरी तरह ठप है. यह पुल कारतरी, मिर्जापुर, सोनपुरा, आगो, प्लांडू, बरसोपानी, बुढ़वा महादेव, डूमारो गुफा, हेंडेगीर आदि गांवों एवं पर्यटन स्थलों को जोड़ता है. अगर यहां पुल बन जाता, तो पतरातू प्रखंड एवं रांची तक पहुंचने में ग्रामीणों को काफी आसानी होगी.

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2007 में बना था पुल

ग्रामीणों के अनुसार, कारतरी नदी पर इस पुल के निर्माण के लिए विशेष प्रमंडल द्वारा 16 जनवरी, 2006 में निवर्तमान विधायक लोकनाथ महतो द्वारा शिलान्यास किया गया था. इस पुल का निर्माण लगभग 1 करोड़ रुपये में राज कंस्ट्रक्शन ने कराया था. इस पुल का निर्माण कार्य 2007 में पूर्ण हुआ था. हालांकि, 4 साल पहले इस पुल का 2 पाया धंस गया था. वर्ष 2016 में इस पुल का तीसरा पाया भी टूट कर बह गया. तब एनटीपीसी के सहयोग से लोहे के एंगल से लगभग 4 फीट चौड़ा पुल बनाया गया. एक माह पहले बरसात में यह एप्रोच भी टूट गया तथा पुल का अधिकांश भाग बह गया. इसके बाद से ग्रामीणों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गयी है.

ग्रामीणों ने कहा कि जब- जब बारिश का मौसम आता है, तब- तब कारतरी, मिर्जापुर, खैरातरी, सिरमा- छावनियां चोरका, पंडरिया जैसे दर्जनों गांव के लोगों के लिए बरसात अभिशाप बन जाता है. पुल नहीं बनने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हर बरसात में बच्चों को स्कूल जाने- आने एवं किसानों को बाजार तक आवागमन के लिए बांस की बनी चचरी पुलिया का ही सहारा लेना पड़ता है. जान जोखिम में डाल कर स्कूली बच्चे चचरी पुलिया से आवागमन करते हैं. अधिक बारिश और नदी में जलस्तर बढ़ जाने से यह चचरी पुलिया भी बह जाता है. इसका स्थायी समाधान अब तक नहीं हो पाया है.

लॉकडाउन के बाद पुल निर्माण में आयेगी तेजी : विधायक

विधायक अंबा प्रसाद ने कारतरी नदी पर पुल का होना बहुत जरूरी है. विकास का आधार सड़क और पुल-पुलिया ही है. इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित किया गया है. लॉकडाउन के कारण काम शुरू नहीं हो पाया है. आशा है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद इस पर काम तेजी से हो पायेगी.

Posted By : Samir Ranjan.

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