छठ पर्व में न पड़े विघ्न, इसलिए तीन दिन तक नहीं किया मां का अंतिम संस्कार
बड़कागांव : झारखंडके हजारीबाग जिलाकेएक गांव में लोगोंका छठ खराब न हो, इसलिए एक व्यक्ति ने तीन दिन तक अपनी मां का अंतिम संस्कार नहींकिया. तीनदिन तक शव को घर में रखा. छठ पूजा बीत जाने के बादबुधवारको शव का दाह-संस्कार किया गया. मामला बड़कागांव मध्य पंचायत के बरगद मोहल्ला का है. बताया जाता है […]
बड़कागांव : झारखंडके हजारीबाग जिलाकेएक गांव में लोगोंका छठ खराब न हो, इसलिए एक व्यक्ति ने तीन दिन तक अपनी मां का अंतिम संस्कार नहींकिया. तीनदिन तक शव को घर में रखा. छठ पूजा बीत जाने के बादबुधवारको शव का दाह-संस्कार किया गया.
मामला बड़कागांव मध्य पंचायत के बरगद मोहल्ला का है. बताया जाता है कि 12 नवंबरको अपराह्न 1:30 बजे धीरज सोनी की माता सोनिया देवी (83) की बीमारी से मौत हो गयी. उस दिन नहाय-खाय था. इसलिएधीरज सोनी ने तय किया कि माता के शव का अंतिम संस्कार छठ पूजा संपन्न होने के बाद करेंगे.
धीरज सोनी ने बताया कि परंपरा के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद छुतका हो जाता है. फलस्वरूप किसी प्रकार का पर्व-त्योहार या पूजा-पाठ रोक दिया जाता है. धीरज ने बताया कि उनके आसपास के लोगों के साथ-साथ कई रिश्तेदार भी छठ कर रहे थे. अगर 12 नवंबर को अंतिम संस्कार कर दिया जाता, तो पूजा नहीं हो पाती.
इतना ही नहीं. गांव में पीपल नदी के किनारे श्मशान घाट है. यहीं छठ पूजा भी होती है. अगर धीरज की मां का दाह-संस्कार हो जाता, तो छठ पूजा करने वालों के लिए समस्या उत्पन्न हो जाती. धीरजनेकहा कि उन्होंनेगांव के लोगों की सहूलियत के लिए यह फैसला लिया,लेकिन आज उनकी आलोचना हो रही है.