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झारखंड में प्रसिद्ध है नरसिंह मेला, यहां दूसरे जिलों से भी बच्चों को मुंडन करवाने आते हैं लोग

संजय सागर@बड़कागांव झारखंड में प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर व नरसिंह मेला कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर 23 नवंबर की सुबह से शुरू होगा यह मेला हजारीबाग ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड में प्रसिद्ध है. झारखंड के विभिन्न जिलों से लोग अपने बच्चों का यहां मुंडन कराने के लिए पहुंचते हैं. मेले की तैयारी पूरी कर ली […]

संजय सागर@बड़कागांव

झारखंड में प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर व नरसिंह मेला कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर 23 नवंबर की सुबह से शुरू होगा यह मेला हजारीबाग ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड में प्रसिद्ध है. झारखंड के विभिन्न जिलों से लोग अपने बच्चों का यहां मुंडन कराने के लिए पहुंचते हैं. मेले की तैयारी पूरी कर ली गयी है. नरसिंह मंदिर बड़कागांव हजारीबाग रोड स्थित खपरियावां पंचायत में है.

भगवान नरसिंह के गर्भगृह सहित पूरे मंदिर परिसर को गेंदा फूल से सजाने की तैयारी मेला व्यवस्था समिति द्वारा की गयी है.

मंदिर का प्राचीन इतिहास

श्री नरसिंह मंदिर की स्थापना 1632 ई. में पंडित दामोदर मिश्रा द्वारा की गयी थी. तब से यहां भगवान श्रीनरसिंह के दर्शन व पूजन का अलग महत्व रहा है. ऐसी मान्यता है कि यहां जलाया गया अखंड दीप और मंदिर की परिक्रमा कभी व्यर्थ नहीं जाती. दर्शन-पूजन के साथ मनोवांक्षित फलों की कामना को लेकर सालो भर श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है.

मेले और शादी-व्‍याह के लग्न में राज्य के कई जिलों के श्रद्धालु अपने मन्नत लेकर बाबा के दरबार पहुंचते हैं. मंदिर में गर्भगृह में भगवान श्रीनरसिंह की पांच फीट ऊंची ग्रेनाइड पत्थर से बनी प्रतिमा स्थापित है. सामने भूतल में शिवलिंग विराजमान है. एक गर्भगृह में विष्णु और शिव के विराजमान होने का अद्भुत संयोग श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है.

गर्भगृह में नवग्रह भगवान सूर्य एवं शिव-पार्वती की प्रतिमा दर्शनीय है. इसके अलावा महावीर स्थान, दशावतार मंदिर, लक्ष्मी-नारायण मंदिर, काली मंदिर और नकटी महामाया का मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है.

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