बरकागांव : हजारीबाग घाटी में खत्म हो रही पेड़-पौधों की हरियाली, रात-दिन उड़ते हैं धूल

संजय सागर@बड़कागांव जहां एक ओर पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम अपनाये जा रहे हैं, वहीं बड़कागांव, केरेडारी, कटकमसांडी क्षेत्र में पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है. अगर अपनी आंखों से देखना हो तो हजारीबाग-बड़कागांव भाया केरेडारी रोड होते टंडवा की यात्रा करें. इन सड़कों पर उड़ते धूल कणों एवं प्रदूषण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2018 6:37 PM

संजय सागर@बड़कागांव

जहां एक ओर पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम अपनाये जा रहे हैं, वहीं बड़कागांव, केरेडारी, कटकमसांडी क्षेत्र में पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है. अगर अपनी आंखों से देखना हो तो हजारीबाग-बड़कागांव भाया केरेडारी रोड होते टंडवा की यात्रा करें. इन सड़कों पर उड़ते धूल कणों एवं प्रदूषण की मार से झेल रहे लोग, जंगलों व घाटियों में पेड़ पौधे की कटाई से आप सभी रूबरू हो जायेंगे.

सड़क निर्माण के नाम पर पेड़ पौधे को काट दिये गये हैं, तो टंडवा व चिरुडीह, पंकरी बरवाडीह कोल खदानों से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के कारण पेड़-पौधों की हरियाली खत्म हो गयी. पेड़-पौधे काले दिखने लगे हैं. तो बिना हवा के भी धूल कण तूफान सा उड़ते नजर आते हैं. इन धूलकणों से सूरज की किरणें भी फीकी नजर आती है.

इन सब के बीच जिले का प्रदूषण विभाग इस बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर उदासीनता का रवैया अपना रहा है. हालांकि राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा अधिकारियों को इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया. लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ. इसे लेकर क्षेत्र के लोगों में आक्रोश व्याप्त है.

सड़क निर्माण के कारण भी प्रदूषण

हजारीबाग से रांची के बीजूपाड़ा तक सड़क निर्माण का कार्य ईसीएल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पिछले दो वर्ष से कराया जा रहा है. निर्माण कार्य के दौरान सड़क को जहां-तहां काटकर निर्माण किया जा रहा है. सड़क के टूटे होने के कारण सड़क पर हमेशा धूल का गुबार उड़ता रहता है. जिससे इस सड़क से गुजरने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

इतना ही नहीं बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोग टीबी सहित कई प्रकार की श्वांस की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं क्षेत्र के कोयला खदानों में कार्य होने के कारण हवा में धूल के साथ ही कोयले के कणों की संख्या बढ़ गयी है. इससे न केवल हवा बल्कि खदानों के आसपास बहने वाले नदी-नालों का जल भी प्रदूषित हो गया है.

जन-जीवन पर प्रभाव

प्रदूषण का प्रभाव क्षेत्र के लोगों से लेकर जानवरों व पेड़-पौधों तक पर पड़ रहा है. इस संबंध में बड़कागांव के लोगों का कहना है कि एनटीपीसी के चिरूडीह कोयला खदान व टंडवा के मगध व आम्रपाली कोयला खदान से कोयला लेकर चलने वाले भारी वाहनों के आने-जाने से सड़क पर काफी धूल उड़ती है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है. वैसे एनटीपीसी द्वारा आराहरा मोड़ से लेकर टावर तक पानी का छिड़काव कराया जाता है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. पानी छिड़काव का असर बहुत थोड़े समय के लिए होता है, पुन: धूलकण उड़ना शुरू हो जाता है.

लोगों को रहना मुश्किल

बड़कागांव के चमगढ़ा से लेकर महटिकरा, कोरियादिह, दैनिक बाजार, मुख्य चौक, अम्बेडकर चौक, प्रेमनगर तक हमेशा धुलकण उड़ते रहते हैं. इस कारण सड़क के दोनों किनारे रहने वाले लोग व दुकानदार परेशान हैं. उधर, जबसे टंडवा में आम्रपाली, मगध एवं बड़कागांव में एनटीपीसी के द्वारा त्रिवेणी चिरूडीह कोयला खदान,

जय मां अंबे द्वारा पकरी-बरवाडीह कोयला खदान में कार्य प्रारंभ किया गया है, तब से आसपास के गांव भी प्रदूषण की चपेट में आ गये हैं. प्रदूषण को लेकर बड़कागांव प्रखंड प्रमुख राजमुनि देवी, कांग्रेस नेता संजय तिवारी, सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष मनोज गुप्ता, उप मुखिया रंजीत मेहता, आजसू के केंद्रीय सदस्य संदीप कुशवाहा ने प्रशासन से क्षेत्र को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की मांग की है.

ये गांव हैं प्रदूषण की चपेट में

टंडवा एवं बड़कागांव से कोयले की ढुलाई बड़ी आबादी वाले गांवों से गुजरने वाली सड़कों से की जाती है. जसमें टंडवा, लयशुकवार, बेला पेटो, केरेडारी कोदवे, देशवारी, गरीकला, चमगढ़ा, महटीकरा, कोरियाडीह, बड़कागांव, बरवाडीह, फतहा, खपरियावा, सिरका, कुसुम्भा सहित कई गांव शामिल हैं.

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