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केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के घर के सामने पारा शिक्षकों का अनिश्चितकालीन आंदोलन ‘घेरा डालो, डेरा डालो’

संजय सागर बड़कागांव : कड़कड़ाती ठंड की रात. दिन में भी हवा सिहके, तो शीतलहर. ऐसे ठंड के मौसम में पारा शिक्षकों ने केंद्रीय नागरिक विमानन राज्यमंत्री एवं हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा के घर ‘ऋषभ वाटिका’ के समक्ष अपना अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया है. नाम दिया है ‘घेरा डालो, डेरा डालो’. पारा शिक्षकों का […]

संजय सागर

बड़कागांव : कड़कड़ाती ठंड की रात. दिन में भी हवा सिहके, तो शीतलहर. ऐसे ठंड के मौसम में पारा शिक्षकों ने केंद्रीय नागरिक विमानन राज्यमंत्री एवं हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा के घर ‘ऋषभ वाटिका’ के समक्ष अपना अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया है. नाम दिया है ‘घेरा डालो, डेरा डालो’. पारा शिक्षकों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं, वे सांसदों और विधायकों के आवास के समक्ष धरना देते रहेंगे. पारा शिक्षकों ने अपने समर्थन में खड़े होने वाले विधायकों और सांसदों को साधुवाद भी दिया.

समान काम, समान वेतन, टेट पास पारा शिक्षकों की सीधी नियुक्ति, जेल में बंद पारा शिक्षकों को बिना शर्त रिहाई की मांग समेत अपनी अन्य मांगों के समर्थन में एकीकृत पारा शिक्षक संघ की अगुवाई में सांसद जयंत सिन्हा के आवास के समक्ष अनिश्चितकालीन ‘घेरा डालो, डेरा डालो’ धरना दे रहे हैं.

25 नवंबर को शुरू हुए आंदोलन में बड़कागांव प्रखंड के अलावा केरेडारी,पदमा, टाटीझरिया, चुरचू एवं डाड़ी समेत अन्य प्रखंडों के पारा शिक्षक डटे हुए हैं. धरना देने वालों में कई महिला शिक्षक अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ पहुंची हैं. पारा शिक्षक वहां बैठे हैं, जहां झाड़ियां हैं. कूड़ा-कचरा फेंका जाता है. ऐसी ही जगह ये लोग अपना भोजन भी पका और खा रहे हैं.

पारा शिक्षकों का कहना है कि 15-16 वर्षों से हम बच्चों को स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं. सरकारी शिक्षकों की तरह बच्चों को पढ़ाने के अलावा जनगणना, बाल गणना, पशु गणना, बीएलओ एवं चुनाव का काम भी कर रहे हैं. हमें समान काम के लिए समान वेतन नहीं दिया जा रहा. हालांकि, संविधान में समान काम के लिए समान वेतन की व्यवस्था है, लेकिन झारखंड की सरकार ने पारा शिक्षकों को लंबे समय से छला है.

मंत्री-विधायक अपना वेतन बढ़ाते हैं, वह बोझ नहीं?

पारा शिक्षकों ने पूछा कि मंत्री व विधायक अपने वेतन एवं भत्ता में स्यवं वृद्धि कर लेते हैं. अपनी मर्जी से. यह उन्हें वित्तीय बोझ नहीं लगता. जब कामगार वेतन मांगते हैं, तो उन पर वित्तीय बोझ पड़ता है. यह कैसा लोकतंत्र है? यह कैसा न्याय है? पारा शिक्षकों ने कहा कि जनता ऐसी सरकार को अब माफ नहीं करेगी. जनता गद्दी पर बैठाना जानती है, तो गद्दी से उतारना भी जानती है. पारा शिक्षकों ने कहा कि एक हाथ से समान काम के बदले समान वेतन दो, तभी हम इस सरकार को वोट देंगे.

सांसद के घर से मिली चाय-बिस्किट, भोजन की सामग्री भी मिली

कड़ाके की ठंड में आंदोलन कर रहे पारा शिक्षकों को सांसद के घर से चाय-बिस्किट की व्यवस्था की गयी. दोपहर में भोजन सामग्री की व्यवस्था भी सांसद की ओर से करायी गयी.

पारा शिक्षक झारखंड के मूल निवासी

पारा शिक्षकों ने कहा कि झारखंड के गांव-देहात एवं शहरों में बच्चों को शिक्षा देने वाले पारा शिक्षक झारखंड के मूल निवासी हैं. पारा शिक्षकों को समान काम का समान वेतन मिलता है और स्थायी नियुक्ति की जाती है, तो झारखंड निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले नेता बिरसा मुंडा, चांद-भैरव, निर्मल महतो समेत अन्य शहीदों का सपना साकार होगा.

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