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Hazaribagh : बीमार बच्चों के साथ आंदोलन कर रही हैं पारा शिक्षिकाएं

संजय सागर बड़कागांव : पारा शिक्षिकाएं बीमार एवं दुधमुंहे बच्चों के साथ आंदोलन को आगे बढ़ा रही हैं. ‘घेरा डालो डेरा डालो’ आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. आंदोलन के दौरान कई पारा टीचर बीमार पड़ चुके हैं, लेकिन आंदोलन को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं. हजारीबाग के सांसद और केंद्रीय विमानन […]

संजय सागर

बड़कागांव : पारा शिक्षिकाएं बीमार एवं दुधमुंहे बच्चों के साथ आंदोलन को आगे बढ़ा रही हैं. ‘घेरा डालो डेरा डालो’ आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. आंदोलन के दौरान कई पारा टीचर बीमार पड़ चुके हैं, लेकिन आंदोलन को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं.

हजारीबाग के सांसद और केंद्रीय विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के आवास के बाहर चौथे दिन भी पारा शिक्षकों का आंदोलन जारी रहा. हालांकि, अब तक केंद्रीय मंत्री या राज्य के किसी मंत्री ने इनकी सुध नहीं ली है. इससे पारा शिक्षकों एवं प्रबंधन समिति के सदस्यों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है.

एकीकृत पारा शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष चंदन मेहता ने कहा कि हम सभी पारा शिक्षक ऋषभ वाटिका के समक्ष 25 नवंबर से ‘घेरा डालो डेरा डालो’ आंदोलन चला रहे हैं. कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे दिन और रात बिता रहे हैं. मंत्री को हमारी कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि मंत्री यहां नहीं हैं, लेकिन कम से कम मोबाइल से भी वे हमसे बात कर सकते थे.’

पदमा प्रखंड अध्यक्ष प्रवीण कुमार पांडे ने बताया कि भाजपा के नेता गन व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा शायद पारा शिक्षकों को बंधुआ मजदूर समझ रहे हैं. इसलिए उन्हें हमारी चिंता नहीं. पांडे ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा राज्य सरकार से बात करके उनका वाजिब हक उन्हें दिलायेंगे, लेकिन यह उम्मीद अब टूट रही है.

बोकारो जिला के पारा शिक्षक रघुनाथ हेम्ब्रम की सड़क दुर्घटना में मृत्यु पर बुधवार को दो मिनट का मौन रखा गया. पारा शिक्षकों ने संयुक्त रूप से कहा कि उक्त पारा शिक्षक घेरा डालो डेरा डालो कार्यक्रम से अपने घर जा रहे थे. रास्ते में दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी. संघ ने झारखंड सरकार से उनके परिजनों के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है.

समय पर नहीं मिलता मानदेय

पारा शिक्षकों ने कहा कि महंगाई के इस दौरान में समान काम के बदले समान वेतन तो नहीं ही मिलता, बहुत कम मानदेय (8940-9600 रुपये) मिलता. यह राशि भी समय पर नहीं मिलती. चार-पांच महीने के अंतराल पर मानदेय मिलता है. पारा शिक्षकों के घरों में कोई बीमार पड़ जाये, तो उसका इलाज कराना मुश्किल हो जाता है. कई ऐसे मामले हैं, जिसमें बीमारी के बाद पारा शिक्षक की मृत्यु हो गयी. संघ का कहना है कि पारा शिक्षकों को मानदेय के अलावा कोई सरकारी लाभ भी नहीं मिलता. इंदिरा आवास व पीएम आवास से भी वंचित रखा जाता है.

मौके पर संघ के जिला अध्यक्ष चंदन मेहता, बड़कागांव प्रखंड अध्यक्ष शमशेर आलम, सचिव पारस महतो, पदमा प्रखंड के अध्यक्ष प्रवीण पांडेय, विकास कुमार, सुनीता देवी, इंदु कुमारी, रंजीत खलखो, जागेश्वर प्रसाद, चैता भुइयां, शिवनंदन कुमार मेहता, बालेश्वर कुमार साहू, नरेश कुमार, रोहिता कुमारी, खिरोधर ठाकुर, दीपक मिंज, अनिता कुमारी, देवंती कुमारी, टाटीझरिया के रंजीता तिर्की, चुरचू प्रखंड की सुषमा हेम्ब्रम, अंजनी, रीना कुजूर, संगीता तिग्गा, टाटीझरिया की रेशमा देवी, मांडू प्रखंड की ऊषा रानी कुजूर, मंजू देवी, बड़कागांव के मोती गिरी, धनेश्वर नायक, संजय कुमार, मोहम्मद मुस्ताक अली, मोहम्मद हाशिम, वीरेंद्र कुमार, नकुल महतो, दशरथ कुशवाहा, हीरामणि प्रसाद डांगी, अजीमुल्लाह, सुलेखा देवी, वसंत नारायण महतो, नीलम देवी, राधिका देवी, सुमित्रा देवी, अनीता देवी, नरेश कुमार समेत सैकड़ों पारा शिक्षक मौजूद थे. आंदोलन में बड़कागांव प्रखंड के अलावा केरेडारी, पदमा, टाटीझरिया, डाड़ी, सदर एवं इचाक प्रखंड के पारा शिक्षक शामिल हैं.

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