मानवीय होनी चाहिए विकास की प्रक्रिया

हजारीबाग : हम दुनिया का कायाकल्प करने की दहलीज पर खड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से 17 सतत विकास लक्ष्य की ऐतिहासिक योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक अधिक संपन्न अधिक समतावादी व अधिक संरक्षित विश्व की रचना करनी है. उक्त बातें विभावि के कुलपति प्रो डॉ रमेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2019 1:01 AM

हजारीबाग : हम दुनिया का कायाकल्प करने की दहलीज पर खड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से 17 सतत विकास लक्ष्य की ऐतिहासिक योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक अधिक संपन्न अधिक समतावादी व अधिक संरक्षित विश्व की रचना करनी है.

उक्त बातें विभावि के कुलपति प्रो डॉ रमेश शरण ने मार्खम कॉलेज के विवेकानंद सभागार में आयोजित सतत् विकास लक्ष्य विषय पर एकदिवसीय मार्खम पॉपुलर लेक्चर सीरीज के व्याख्यान माला में कही. उन्होंने कहा कि 2030 के लिए वैश्विक एजेंडे का मूल मंत्र सार्वभौमिकता का सिद्धांत है. विकास को अपने सभी आयामों में सभी के लिए हर जगह समावेशी होना चाहिए और उसका निर्माण हर किसी विशेषकर सबसे लाचार व हाशिये पर जीते लोगों की भागीदारी से होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए समावेशी विकास की जरूरत है. विकास की प्रक्रिया मानवीय होनी चाहिए. विकास की सभी योजनाएं अंतिम व्यक्ति को देखकर बनानी चाहिए, तभी विकास संभव है. प्राचार्य डॉ विमल कुमार मिश्र ने कहा कि विभिन्न विषयों के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से मार्खम मेमोरियल पॉपुलर लेक्चर सीरीज की शुरुआत की गयी है.
इससे व्याख्यान माला का उद्घाटन एएफ मार्खम की तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया. इस अवसर पर प्राचार्य ने कुलपति को शॉल ओढ़ा कर व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया. संचालन डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह व धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर एसएम कैसर ने किया. मौके पर प्रो इंचार्ज डॉ अजीत कुमार पाठक, डॉ एसके सिंह, डॉ रवि कुमार प्रसाद, डॉ रामजी सिंह, डॉ एडी सिंह, डॉ आरके कर्ण, डॉ पीके सिंह, प्रोग्राम ऑफिसर बीएन सिंह समेत कई शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी व काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे.

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