शाम होते ही घेर लेते हैं गांव को

दारू : हाथियों के झुंड ने तीसरी बार लुकइया गांव को निशाना बनाया. बुधवार की रात हाथियों के झुंड ने खंडहर बने घर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. गांव में सन्नाटा पसरा है. ग्रामीण जान बचाने के लिए गांव छोड़ चुके हैं. अपने ही गांव में शरणार्थी की तरह तीन दिन से रह रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2014 2:07 AM

दारू : हाथियों के झुंड ने तीसरी बार लुकइया गांव को निशाना बनाया. बुधवार की रात हाथियों के झुंड ने खंडहर बने घर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. गांव में सन्नाटा पसरा है. ग्रामीण जान बचाने के लिए गांव छोड़ चुके हैं.

अपने ही गांव में शरणार्थी की तरह तीन दिन से रह रहे हैं. बरसात में लोगों के सिर से छत छिन गया है. बेसहारा होकर पड़ोस के गांव कंदागढ़ा में दिन-रात बीता रहे हैं. शाम चार बजते ही हाथियों के झुंड गांव को चारों ओर से घेर लेते हैं. जहां पर हाथी के बच्चे की मौत हुई थी वहां पहुंच कर पहले अपने बच्चे को खोजने का प्रयास करते है.

नहीं मिलने पर हाथियों का झुंड चिंघाड़ मारता है. उसके बाद टूटे-फूटे घरों ध्वस्त करने लगते हैं. ज्ञात हो कि 22 जुलाई को हाथियों के झुंड में से एक बच्चे की मौत हो गयी थी.

स्कूल जाने से वंचित हैं विद्यार्थी : हाथी के रोज-रोज होनेवाले हमले के आतंक से आतंकित हैं स्कूल जानेवाले बच्चे. हाथियों के झुंड ने स्कूल को भी अपना निशान बनाया है. स्कूल की छत,खिड़की व दरवाजा हाथियों के कोपभाजन का शिकार हुए हैं. स्कूल में रखे मध्याह्न् भोजन के चावल, कुरसी, टेबल,खाना बनाने के बरतन को भी पैरों तले कुचल डाला है.

किसानों ने सुनाया अपना दर्द : छोटन हंसदा ने बताया कि मेरे चार छोटे-छोटे बच्चे हैं. खेती से ही परिवार का भरण-पोषण करते हैं. हाथियों के झुंड ने आशियाना तो छिना ही फसल भी चौपट कर डाला. रामधनी मांझी ने कहा कि बरसात में घर की मरम्मत भी नहीं कर पायेंगे. हाथी ऐसे हमारे गांव पर टूट पड़े हैं जैसे हमसे उनकी कोई पुरानी दुश्मनी है. प्रमुख ललिता देवी ने कहा कि प्रखंड स्तर से पीड़ित परिवारों को सहायता पहुंचाने का प्रयास किया गया है.लेकिन वन विभाग पूरी तरह गंभीर नहीं नजर आ रहा है.

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