बड़कागांव : देर शाम खैरातरी नदी का जलस्तर हुआ कम, तब अपने घर लौट पाये ग्रामीण
संजय सागर, बड़कागांव आजादी के 72 साल गुजर जाने के बावजूद भी बड़कागांव प्रखंड के कई नदियों पर पुल नहीं बने. सारा देश गांधीजी की 150वीं जयंती मना रहा है. लेकिन गांधीजी के सपने पूरे नहीं हो पाए. गांधी जी ने कहा था भारत गांवों का देश है. जब तक गांव का विकास नहीं होता […]
संजय सागर, बड़कागांव
आजादी के 72 साल गुजर जाने के बावजूद भी बड़कागांव प्रखंड के कई नदियों पर पुल नहीं बने. सारा देश गांधीजी की 150वीं जयंती मना रहा है. लेकिन गांधीजी के सपने पूरे नहीं हो पाए. गांधी जी ने कहा था भारत गांवों का देश है. जब तक गांव का विकास नहीं होता तब तक भारत का विकास नहीं हो सकता. गांव की नदियों पर पुल नहीं बनने के कारण बरसात के दिनों में लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.
सबसे ज्यादा परेशानी विद्यार्थियों एवं अस्पतालों तक पहुंचने के लिए रोगियों व उनके परिजनों को उठानी पड़ता है. नदियों में जलस्तर बढ़ जाने के कारण कई रोगियों को अस्पताल तक पहुंचाने में परेशानी होती है. नदियों में जलस्तर के कारण कई बार रोगियों की मौत हो चुकी है. जल स्तर बढ़ जाने से दर्जनों गांव प्रखंड मुख्यालय से कट गये. इस कारण लोगों का आवागमन पूरी तरह ठप हो गया.
इन नदियों पर नहीं बने हैं पुल
बड़कागांव प्रखंड के खैरातरी नदी, गोंदलपुरा व बाबूपारा की नदी, पीपल नदी, चोरका नदी, पंडरिया नदी और आंगो पंचायत के पचंड़ा नदी में आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी आज तक पुल नहीं बना है. खैरातरी निवासी देवेंद्र कुमार, रामकिशुन महतो, रविंद्र महतो, फुल कुमारी देवी, लोलो देवी का कहना है कि खैरातरी नदी जलस्तर बढ़ने से आने-जाने में परेशानी होती है.
नदी पर पुल नहीं होने के कारण इस गांव में कोई शादी विवाह भी नहीं करना चाहता. बगल के गांव छावनियां की नदी पर पिछले 6-7 साल से पुल बन रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया है. अगर वह पुल भी बन जाता तो हम सभी को उस पुल से आने-जाने की सुविधा मिल जाती. लेकिन ठेकेदार की गलती के कारण आज तक पुल नहीं बना. कांड़तरी नदी में 15 वर्ष पूर्व लाखों रुपये की लागत से पुल बनाया गया था. लेकिन चार साल पहले पुल धंस गया. इस नदी पर भी आज तक पुल नहीं बनाया गया है.
मुख्यालय से कट गये ये गांव
36 घंटे तक बारिश होने से नदियों का जलस्तर बढ़ गया. जिससे चोरका, पंडरिया, देवगढ़, सिरमा, छवनिया, पगार, कांडतारी, मिर्जापुर, बाबूपारा, राउत्पारा, गोंदलपुरा, जोराकाठ, कदमटोला, चंदन टिलहा आदि गांव प्रभावित हैं. गांव के बच्चे, बूढ़े, जवान एवं महिलाएं नदियों के जलस्तर कम होने का इंतजार करते हैं. तब वे बाजारों व स्कूलों से अपने घर लौट पाते हैं या फिर घर से निकलते वक्त जलस्तर कम होने का इंतजार करते हैं.