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दलबदल : हजारीबाग का इतिहास पुराना, इस बार नजरें मांडू व बरही पर

सलाउद्दीनहजारीबाग के विधायक रहे एक पूर्व सीएम व पांच मंत्री ने भी समय-समय पर बदला दलहजारीबाग : हजारीबाग की राजनीति में नेताओं के दल-बदल का इतिहास काफी पुराना है. यह सिलसिला 1969 से चल रहा है. 2019 के विधानसभा चुनाव में हजारीबाग के मांडू और बरही विधानसभा क्षेत्र से दो विधायकों के पार्टी बदलने से […]

सलाउद्दीन
हजारीबाग के विधायक रहे एक पूर्व सीएम व पांच मंत्री ने भी समय-समय पर बदला दल
हजारीबाग :
हजारीबाग की राजनीति में नेताओं के दल-बदल का इतिहास काफी पुराना है. यह सिलसिला 1969 से चल रहा है. 2019 के विधानसभा चुनाव में हजारीबाग के मांडू और बरही विधानसभा क्षेत्र से दो विधायकों के पार्टी बदलने से एक बार फिर हजारीबाग जिला चर्चा में आ गया. इसमें मांडू से झामुमो विधायक जयप्रकाश भाई पटेल और बरही से कांग्रेस विधायक मनोज यादव भाजपा में चले गये. यहां चुनाव नजदीक आते-आते दल-बदल शुरू हो जाता है. इससे पहले भी कई विधायकों ने दल बदला है और बागी होकर चुनाव लड़ा.

1969 में शुरू हुआ था सिलसिला : 1969 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय से हजारीबाग में दल-बदल का इतिहास शुरू हुआ. कांग्रेस पार्टी का जब 1969 में विभाजन हुआ तो केबी सहाय संगठन कांग्रेस मोरारजी देसाई वाली पार्टी में चले गये. 1972 में विधानसभा चुनाव के समय राजा कामाख्या नारायण सिंह की पार्टी का जनसंघ में विलय हो गया. रघुनंदन राम जो 1962 में राजा पार्टी से विधायक थे, बाद में कांग्रेस में चले गये. 1980 में वे कांग्रेस के टिकट पर हजारीबाग सदर से विधायक बने. 1972 में ही राजा पार्टी और जनसंघ ने मिलकर 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. रघुनंदन राम, महेश राम, डॉ बसंत नारायण सिंह, निरंजन सिंह आदि राजा पार्टी छोड़कर जनसंघ में चले गये. बाद में महेश राम बड़कागांव से, डॉ बसंत नारायण सिंह बगोदर से विधायक बने. राजा पार्टी से दो बार बरही के विधायक रहे रामेश्वर महथा 1972 में जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव जीते.

हजारीबाग के विधायक ने भी बदला था दल : 2014 में जेवीएम से भाजपा में शामिल होकर मनीष जायसवाल हजारीबाग सदर से विधायक बने. वहीं जेवीएम से बरकट्ठा से विधायक बने जानकी यादव भाजपा में शामिल हो गये. कुमार महेश सिंह तीन बार कांग्रेस से चुनाव लड़ने के बाद 2014 में मांडू से भाजपा के प्रत्याशी बने.

दल-बदल से रामगढ़ का भी रहा है नाता

1977 में रामगढ़ के पूर्व विधायक विश्वनाथ चौधरी जनता पार्टी से झामुमो में चले गये थे. 1977 में कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में ललिता राजलक्ष्मी वित्त राज्यमंत्री रहीं. वह 1980 में कांग्रेस में शामिल हो गयी. बरकट्ठा से चुनाव लड़ीं. लेकिन सीपीआइ के भुवनेश्वर मेहता से हार गयीं. 1985 में रामगढ़ के कांग्रेस विधायक यमुना शर्मा चुनाव जीते, जो बाद में भाजपा में चले गये. 1990 में बरही के पूर्व विधायक निरंजन सिंह कांग्रेस से भाजपा में चले गये. 2005 में ब्रजकिशोर जायसवाल कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े. लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी सौरभ नारायण सिंह से लगभग दो हजार वोट से हार गये. 2009 में सपा से भाजपा में शामिल होकर बरही विधानसभा सीट से अकेला यादव विधायक बने.

सिंदरी सीट से फूलचंद को टिकट देने पर झामुमो में फूट
बरवाअड्डा. सिंदरी सीट से झामुमो का टिकट भाजपा विधायक फूलचंद मंडल को मिलने के बाद बरवाअड्डा क्षेत्र में झामुमो की राजनीति में हलचल मच गयी है. टिकट वितरण से झामुमो के बड़े से लेकर छोटे नेता तक नाराज हैं. कई नेता विधायक फूलचंद मंडल के विरोध में खुल कर बोल रहे हैं. मामले को लेकर शनिवार को बरवाअड्डा के बड़ापिछरी गांव में झामुमो कार्यकर्ताओं की बैठक हुई. बैठक में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे थे. बैठक में फूलचंद मंडल को टिकट दिये जाने के बाद क्या किया जायेगा, उस पर रायशुमारी हुई. उसमें अधिकतर कार्यकताओं ने उन्हें मदद करने में नाराजगी जतायी. दुर्योधन चौधरी एवं मन्नू आलम में से किसी एक को निर्दलीय चुनाव लड़ने का आग्रह कार्यकर्ताओं ने किया, जिसे दोनों ने ठुकरा दिया.

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