प्रतिनिधि, पदमा
पदमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही हैं. इस कारण शाम चार बजे के बाद कोई बीमार हो जाए जो उसे इलाज के लिए करीब 25 से 30 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है. इससे पदमा समेत आसपास के गांवों के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. पदमा सीएचसी का उदघाटन हुए दो माह बीत जाने के बाद भी प्रखंडवासियों को मात्र छह घंटा ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रहा है. उदघाटन समारोह में सीएस सरयू प्रसाद सिंह ने एक माह में सीएचसी में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने और 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने की बात कही थी. दो महीने बीतने के बाद भी अब तक प्रखंड वासियों को सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक ही स्वास्थ्य सुविधा मिल रहा है. सीएचसी परिसर में नवनिर्मित आवास में एक डेंटल डॉक्टर दीपक कुमार को छोड़कर एक भी स्वास्थ्य कर्मी स्थायी रूप से सीएचसी परिसर में नहीं रहते हैं. जबकि डाॅक्टरों, पारा मेडिकल स्टाफ, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों का अलग-अलग आवास बनाया गया है. आवास में स्थायी रूप से नहीं रहने के सवाल पर डाॅक्टरों का कहना है कि पहले प्रभारी स्थायी रूप से रहेंगे तब न हम सब रहेंगे.तीन महीने में एक भी प्रसव नहीं :
तीन महीने बाद भी पदमा सीएचसी में एक भी गर्भवती महिला का प्रसव नहीं हुआ है. प्रखंड स्तरीय इस अस्पताल में तीन एमबीबीएस डाॅक्टर और दो डेंटल डाॅक्टर पदस्थापित हैं. इसके बावजूद ग्रामीणों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है. प्रसव के लिए प्रखंड की सहिया दीदियों ने कहा कि जब तक डाॅक्टर और एएनएम स्थायी रूप से नहीं रहेंगे, हम लोग रोगी कैसे लायेंगे.कोट
सीएचसी में 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधा बहाल हो इसकी पूरी कोशिश कर रहा हूं. कुछ स्टाफ की कमी के कारण परेशानी हो रही है. सीएचसी में व्यवस्था और जरूरत की सामग्री के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा हूं. जैसे ही व्यवस्था उपलब्ध होगी, सुविधा बहाल कर दी जायेगी. डाॅक्टरों की उपस्थिति को लेकर रोस्टर बनाया गया है. एएनएम का भी रोस्टर जारी कर दिया जायेगा.डाॅ धीरज कुमार, सीएचसी प्रभारी, पदमा.B
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