ओके़ पंचायती राज लागू होने के बाद भी काम नहीं
ओके़ पंचायती राज लागू होने के बाद भी काम नहीं 3केरेडारी1 में- सड़कों में गंदगी का अंबार3केरेडारी2 में- मुखिया बसंती देवी3केरेडारी3 में- तुलसी प्रसाद साहू3केरेडारी4 में- नरेश कुमार महतोकेरेडारी. काफी अरसे के बाद पंचायती राज लागू हुआ. चुनाव होने के बाद ग्रामीणों को एक उम्मीद जगी थी कि अब पंचायतों के दिन बहुरेंगे, लेकिन मुखिया, […]
ओके़ पंचायती राज लागू होने के बाद भी काम नहीं 3केरेडारी1 में- सड़कों में गंदगी का अंबार3केरेडारी2 में- मुखिया बसंती देवी3केरेडारी3 में- तुलसी प्रसाद साहू3केरेडारी4 में- नरेश कुमार महतोकेरेडारी. काफी अरसे के बाद पंचायती राज लागू हुआ. चुनाव होने के बाद ग्रामीणों को एक उम्मीद जगी थी कि अब पंचायतों के दिन बहुरेंगे, लेकिन मुखिया, सरपंच को सरकार ने बिना अधिकार दिये कठपुतली की तरह प्रलोभन देकर सालों तक नचाते रही. जनप्रतिनिधियों का समय अपने अधिकार की मांग में ही बीत गया. न अधिकार मिला और न ही पंचायत के विकास के लिए राशि. जिस कारण केरेडारी पंचायत का विकास नहीं हो पाया. गांव की सड़कें अब भी बदहाली के आंसू बहा रही है. आज भी गांव के लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं. यहां की मुख्य समस्या बेरोजगारी है. रोजगार का साधन नहीं है. लोगों को उनके हुनर के अनुसार कार्य नहीं मिलता. जिससे आज भी केरेडारी पंचायत के 80 फीसदी लोग काम की तलाश में दूसरों में राज्यों में जाते रहते हैं. केरेडारी पंचायत की आबादी लगभग पांच हजार है. केरेडारी में ही प्रखंड मुख्यालय है. सड़कों की हालत : केरेडारी के बेल चौक पीडब्ल्यूडी रोड से पांडेय के घर तक, ओमे टोला के शिव मंदिर से बुधन महतो के घर तक, कोयरी टोला समेत कई सड़कें हैं. जिसमें बारिश के समय में एक-दो फीट तक कीचड़ व पानी जमा रहता है. जिससे लोगों को चलना मुश्किल हो जाता है. बीमार पड़ने पर लोग झोला छाप डॉक्टरों पर ही निर्भर रहते हैं. मुखिया बसंती देवी ने बताया कि अपने कार्यकाल में मनरेगा व 13वें वित्त आयोग से चार सड़कें, दो ईंट सोलिंग पथ, नाली का निर्माण कराया. मैं क्षेत्र के विकास के लिए प्रयासरत रही. केरेडारी को स्वच्छ रखने के लिए हर घर में शौचालय का निर्माण करवाया. चापानल लगवाये. सरकार ने जन प्रतिनिधियों के साथ सौतेलापन दिखाया. अधिकार से तो दूर रखा ही, विकास के लिए राशि भी नहीं दी. मुख्यमंत्री द्वारा आवंटित 10 लाख रुपये आज तक नहीं मिले. अभी राशि का फाइल डीडीसी कार्यालय में लटका हुआ है. अब तो हमारा कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है. 10 लाख रुपये मिल जाता तो केरेडारी के अधूरे व कच्चे सड़कों का पक्कीकरण करा देते. जनता इस बार एक मौका दे तो उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे. दूसरे स्थान पर रहे मुखिया उम्मीदवार नासरीन आरा ने बताया कि गांव में बिजली, पानी, सड़क की समस्या व्याप्त है. सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. इन समस्याओं पर सार्थक पहल की जरूरत है. आगामी पंचायत चुनाव में लोग अच्छे व सच्चे उम्मीदवार का चयन करें. ग्रामीणों ने कहा : ग्रामीण तुलसी प्रसाद साहू, नरेश महतो, अमित कुमार, राजेश कुमार, संजय कुमार, बैजनाथ कुमार ने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद भी गांव का अपेक्षित विकास नहीं हुआ. आज भी गांव में बिजली की समस्या रहती है. शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक पहल नहीं किया गया. जिस कारण यहां सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था तार-तार हो गयी है. कई शिक्षक-शिक्षिकाएं विद्यालयों में सिर्फ हाजरी बनाते हैं और दिन भर गायब रहते हैं.