अब के चुनाव में धन-बल हाबी हो गया
अब के चुनाव में धन-बल हाबी हो गया यादें- फोटो- सिमरिया 2 में पूर्व मुखिया बैधनाथ पांडेयसिमरिया़ टूटीलावा पंचायत से 1978 में बैद्यनाथ पांडेय मात्र 26 वर्ष की उम्र में मुखिया बने थे़ वे उप प्रमुख के साथ-साथ प्रमुख पद पर रहे़ श्री पांडेय ने बताया कि मात्र 1200 रुपये खर्च कर मुखिया बने थे़ […]
अब के चुनाव में धन-बल हाबी हो गया यादें- फोटो- सिमरिया 2 में पूर्व मुखिया बैधनाथ पांडेयसिमरिया़ टूटीलावा पंचायत से 1978 में बैद्यनाथ पांडेय मात्र 26 वर्ष की उम्र में मुखिया बने थे़ वे उप प्रमुख के साथ-साथ प्रमुख पद पर रहे़ श्री पांडेय ने बताया कि मात्र 1200 रुपये खर्च कर मुखिया बने थे़ दीवार लेखन व परचा छपवाने में उक्त राशि खर्च हुई थी़ दिनभर प्रचार-प्रसार करने के बाद शाम को एक ही स्थान पर सभी प्रत्याशी पहुंच कर चर्चा करते थे़ पहले किसी की आलोचना नहीं होती थी़ चुनाव में धन-बल का प्रयोग नहीं होता था़ गांव के लोग पहले से ही मुखिया का चुनाव कर लेते थे़ मतदाता जुबान के पक्के होते थे़ जो कहते थे, वो करते थे़ श्री पांडेय ने कहा कि पहले के मतदाता लोभ लालच में आकर मतदान नहीं करते थे़ 1978 के चुनाव में प्रमुख स्व सहदेव तिवारी के प्रति मतदाताओं की नाराजगी का लाभ मिला था़ चुनाव जीतने के बाद कमजोर वर्ग को काफी मदद की थी. अब के चुनाव में धन-बल का प्रयोग किया जाता है़ डरा धमका कर मतादाताओं से वोट मांगा जाता है़ प्रत्याशी आपस में एक-दूसरे को जानी दुश्मन समझते हैं. चुनाव में पैसे के साथ-साथ शराब का भी प्रचलन बढ़ गया है.