आरिफ, हजारीबाग:
हजारीबाग के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे 60 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास अपना बैंक खाता नहीं है. सत्र 2023-24 में एक लाख 50 हजार 479 विद्यार्थियों को ड्रेस, जूता, मोजा और स्वेटर स्वयं सहायता समूह से खरीदारी कर वितरण किया गया. इसपर कुल नौ करोड़ दो लाख 87 हजार चार सौ रुपये खर्च हो रहा है. एक से आठवीं के विद्यार्थियों को दो सेट पेंट-शर्ट (लड़कियों को सलवार सूट), सभी को एक जोड़ी जूता, मोजा व एक स्वेटर मिल रहा है. विद्यार्थियों को ड्रेस, जूता, मोजा व स्वेटर देने में एक से पांच के लिए प्रति विद्यार्थियों पर छह सौ व कक्षा छह से आठवीं के लिए प्रति विद्यार्थियों पर 760 रुपये सरकार खर्च कर रही है.
जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसइ) ने शनिवार को बताया कि एज पर रूल सभी विद्यार्थियों के बीच मानक अनुसार ड्रेस व अन्य जरूरत की चीजें दी गयी है. उन्होंने कहा कि 2023-24 में डीबीटी के माध्यम से विद्यार्थी व उनके अभिभावकों के बैंक खाते में राशि ट्रांसफर नहीं किया गया. डीएसइ ने बताया कि लंबे प्रयास के बावजूद सभी विद्यार्थियों का बैंक खाता नहीं खुल सका है. जिले भर में लगभग 40 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास बैंक खाते हैं. 60 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास अभी भी कोई बैंक खाता नहीं है. नियम अनुसार जिलास्तरीय समिति के निर्णय के बाद अर्हता रखने वाले स्वयंसहायता समूह से ड्रेस की खरीदारी हुई है.
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डीएसइ ने बताया कि पारदर्शी तरीके से सभी प्रखंड मुख्यालय के प्रखंड संसाधन केंद्र (बीआरसी) में ड्रेस व अन्य चीजें उपलब्ध की गई. बीइइओ की निगरानी में ड्रेस का वितरण किया गया. विद्यार्थियों के ड्रेस में छोटा-बड़ा साइज की शिकायत को गंभीरता से लेकर त्वरित कार्रवाई हुई है.
डीबीटी के माध्यम से विद्यार्थी व अभिभावक के बैंक खाते में पैसा देने के बाद भी कई विद्यार्थी ड्रेस, मोजा, जूता व स्वेटर नहीं ले पाते थे. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार विभाग को जानकारी दी गई की ड्रेस के लिए मिले पैसे को कई विद्यार्थी उनके अभिभावकों ने दूसरी जरूरत की चीजों में खर्च किया. डीबीटी व विद्यालय प्रबंधन समिति को विभाग की ओर से मिले ड्रेस मद के पैसे में कई शिक्षकों की भूमिका संदेह के घेरे में मिली है. इन सभी शिकायत को रोकने के लिए हजारीबाग सहित राज्य भर में विभाग की ओर से सत्र 2023-24 में ड्रेस वितरण की खरीदारी स्वयं सहायता समूह करने का निर्णय लिया गया.